YouTube ने निकाला नया AI फीचर। (सौ. Pixabay)
YouTube AI feature To Identify Minor: YouTube ने बच्चों की सुरक्षा को और पुख्ता बनाने के लिए अपने Age Estimation Tool में नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) फीचर शामिल किया है। इस फीचर का मकसद नाबालिगों को एडल्ट कंटेंट से दूर रखना है। प्लेटफॉर्म अब 18 साल से कम उम्र के यूज़र्स के अकाउंट को पहले से कहीं ज्यादा सटीकता से पहचान सकेगा। Google ने भी ऐसे अकाउंट्स पर नई पाबंदियां लागू करने की तैयारी कर ली है। यह AI यूज़र की अकाउंट गतिविधियों को ट्रैक करके तय करता है कि अकाउंट का इस्तेमाल बच्चा कर रहा है या कोई वयस्क।
9To5Google की रिपोर्ट के अनुसार, Reddit पर कई यूज़र्स ने शिकायत की कि उनके अकाउंट्स पर अप्रत्याशित बदलाव नज़र आए हैं। जिन अकाउंट्स को AI ने नाबालिग माना, उन्हें एक पॉप-अप नोटिफिकेशन मिला जिसमें लिखा था कि उम्र की पुष्टि नहीं हो सकी और इसलिए सेटिंग्स में बदलाव कर दिए गए हैं। YouTube पहले ही साफ कर चुका है कि वह ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जो नकली उम्र डालकर बनाए गए नाबालिग अकाउंट्स को पहचान सके। नया AI फीचर अब वीडियो सर्च, वॉच हिस्ट्री और अकाउंट बनाने की उम्र जैसे पैटर्न को देखकर सही पहचान करने में सक्षम है।
अगर AI यह तय करता है कि कोई अकाउंट नाबालिग का है, तो वह ऑटोमैटिकली उस अकाउंट को Restricted Minor Account में बदल देगा। वहीं, अगर किसी वयस्क का अकाउंट गलती से नाबालिग में बदल जाता है, तो यूज़र अपनी उम्र का सत्यापन कर इसे दोबारा एडल्ट अकाउंट बना सकता है। इसके लिए जन्म प्रमाण पत्र, सरकारी आईडी या अन्य वैध दस्तावेज़ अपलोड करने होंगे।
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कई यूज़र्स द्वारा साझा किए गए स्क्रीनशॉट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए YouTube ने स्वीकार किया कि कुछ वयस्क अकाउंट्स को गलती से नाबालिग माना गया है। ऐसे मामलों में यूज़र्स को अपनी पहचान साबित करने के लिए सरकारी आईडी, क्रेडिट कार्ड डिटेल्स या सेल्फी अपलोड करनी होगी।
YouTube ने यह भी स्पष्ट किया है कि “अगर कोई यूज़र अपनी उम्र की पुष्टि नहीं करता है, तो उसका अकाउंट स्थायी रूप से नाबालिग अकाउंट ही माना जाएगा और उस पर एडल्ट कंटेंट पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा।”
YouTube का यह कदम बच्चों को ऑनलाइन असुरक्षित और अनुचित कंटेंट से बचाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। हालांकि, कुछ वयस्क यूज़र्स को असुविधा का सामना करना पड़ा है, लेकिन लंबे समय में यह फीचर डिजिटल सुरक्षा के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है।