Online Shopping से कैसा हो रहा गांव पर असर। (सौ. Freepik)
भारत में डिजिटल क्रांति अब केवल शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि गांव और कस्बे भी ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल पेमेंट की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। शिपरॉकेट और केपीएमजी की संयुक्त रिपोर्ट “मेड फॉर भारत, पावर्ड बाय AI: द न्यू एज ऑफ कॉमर्स” के अनुसार, देश में 88.6 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें 55% उपयोगकर्ता ग्रामीण भारत से हैं। वहीं, 84% लेनदेन अब UPI के माध्यम से हो रहे हैं, जो दर्शाता है कि भारत अब कैशलेस इकोनॉमी की ओर मजबूती से अग्रसर है।
शिपरॉकेट शिविर 2025 के दौरान जारी इस रिपोर्ट में बताया गया कि डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांड्स का बाजार 2025 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत D2C फंडिंग के मामले में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, हर महीने 50% से ज्यादा ग्राहक 5 या उससे अधिक ऑर्डर कर रहे हैं। यानी गांवों में भी अब क्विक कॉमर्स का चलन तेजी से बढ़ा है।
इस परिवर्तन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। AI की मदद से:
इसके अलावा ब्रांड्स अब क्षेत्रीय भाषाओं में अभियान चला रहे हैं, क्योंकि 98% यूजर्स स्थानीय भाषा में ही कंटेंट देखना पसंद करते हैं।
केपीएमजी के मनुज ओहरी के अनुसार, “भारत अब डिजिटल और AI के सहयोग से एक नई क्रांति की ओर बढ़ रहा है।” वहीं, शिपरॉकेट के एमडी साहिल गोयल ने कहा, “देश के छोटे व्यापारियों को सफलता दिलाने के लिए ऐसे टूल्स और नेटवर्क की जरूरत है, जो उन्हें इस AI-नेटिव युग में प्रतिस्पर्धी बना सकें।”
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भारत का डिजिटल कॉमर्स अब नए युग में प्रवेश कर चुका है, जहां गांव से लेकर शहर तक, मोबाइल से लेकर मार्केट तक हर जगह डिजिटल ट्रांजैक्शन और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का बोलबाला है।