Airplane Mode करना क्यों जरूरी होता है। (सौ. Freepik)
जब आप फ्लाइट में बैठते हैं, तो टेक-ऑफ से पहले एक जरूरी ऐलान होता है – “कृपया अपने मोबाइल फोन को एयरप्लेन मोड पर रखें।” लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह एयरप्लेन मोड होता क्या है और क्यों जरूरी होता है? दरअसल, एयरप्लेन मोड मोबाइल फोन, टैबलेट या लैपटॉप में मौजूद एक विशेष सुविधा है, जिसे ऑन करते ही डिवाइस से मोबाइल नेटवर्क, Wi-Fi, Bluetooth और GPS जैसे सभी वायरलेस सिग्नल बंद हो जाते हैं। इसका मतलब है – न कॉल आएगी, न जाएगी और न ही कोई वायरलेस कनेक्शन एक्टिव रहेगा।
हवाई जहाज में कई सेंसेटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम होते हैं जो नेविगेशन और कम्युनिकेशन के लिए जरूरी होते हैं। अगर किसी मोबाइल से लगातार रेडियो सिग्नल निकलते रहें, तो वे इन सिस्टम्स में इंटरफेरेंस पैदा कर सकते हैं। इसलिए टेक-ऑफ और लैंडिंग के वक्त मोबाइल को एयरप्लेन मोड पर करना बेहद जरूरी माना जाता है। “यह एक छोटी सी आदत है, जो बड़ी सुरक्षा दे सकती है।”
एयरप्लेन मोड ऑन करने के बाद भी आप Wi-Fi और Bluetooth मैन्युअली चालू कर सकते हैं – लेकिन तभी जब एयरलाइन इसकी अनुमति दे। जैसे Vistara और Emirates जैसी एयरलाइंस फ्लाइट में Wi-Fi सुविधा देती हैं। हालांकि कॉलिंग फिर भी संभव नहीं होती।
जब एयरप्लेन मोड ऑन होता है, तो फोन की स्क्रीन पर एक छोटा हवाई जहाज का आइकन दिखाई देता है। इसका मतलब है कि आपका डिवाइस अब किसी भी प्रकार का वायरलेस सिग्नल ट्रांसमिट नहीं कर रहा।
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हालांकि आज 5G जैसी स्मार्ट तकनीकें सिग्नल को बेहतर ढंग से मैनेज कर रही हैं, फिर भी DGCA और अन्य अंतरराष्ट्रीय एविएशन एजेंसियां टेक-ऑफ और लैंडिंग के समय एयरप्लेन मोड को अनिवार्य मानती हैं।
एयरप्लेन मोड केवल फ्लाइट के लिए नहीं, बल्कि बैटरी बचाने, ध्यान केंद्रित करने या ब्रेक लेने के लिए भी उपयोगी है।
“एयरप्लेन मोड सिर्फ तकनीकी फीचर नहीं, आपकी सुरक्षा का जिम्मेदार साथी है।”