
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तानी उच्चायुक्त इमरान हैदर (सोर्स-सोशल मीडिया)
Impact Of Bangladesh-Pakistan Relations On India: कूटनीति में जब दो पुराने दुश्मन हाथ मिलाते हैं, तो उसका सीधा असर पड़ोसियों पर पड़ता है। ढाका में रविवार को बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तानी उच्चायुक्त इमरान हैदर के बीच हुई गर्मजोशी भरी मुलाकात ने नई दिल्ली की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
दोनों नेताओं की हंसती हुई तस्वीर ऐसे समय में आई है जब भारत और बांग्लादेश के संबंध अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। पाकिस्तान इस कूटनीतिक दरार का फायदा उठाकर बांग्लादेश में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, जिसे विशेषज्ञ भारत के लिए एक बड़े ‘सिक्योरिटी अलर्ट’ के रूप में देख रहे हैं।
इस बैठक का सबसे बड़ा और विवादित नतीजा ढाका और कराची के बीच जनवरी 2026 से सीधी हवाई यात्रा शुरू करने का फैसला है। शेख हसीना के कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ संपर्कों पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी, ताकि कट्टरपंथी तत्वों की आवाजाही रोकी जा सके।
अब सीधी उड़ानें शुरू होने से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि इसका इस्तेमाल ISI और भारत विरोधी तत्वों की घुसपैठ के लिए किया जा सकता है। यह ‘हवाई एक्सप्रेसवे’ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की स्थिरता के लिए एक नया सिरदर्द बन सकता है।
बैठक में पाकिस्तान ने दावा किया कि दोनों देशों के बीच व्यापार में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि, आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान के इस दावे पर विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं। माना जा रहा है कि व्यापार, नैनोटेक्नोलॉजी और AI जैसे शब्दों का इस्तेमाल केवल दिखावा है, असल मकसद भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव को कम करना है। पाकिस्तान अब बांग्लादेशी युवाओं के बीच सांस्कृतिक और शैक्षणिक सहयोग बढ़ाकर वहां कट्टरपंथ को हवा देने की फिराक में है, जिसका सीधा असर सीमावर्ती भारतीय राज्यों पर पड़ेगा।
डॉ. मोहम्मद यूनुस का पाकिस्तान के प्रति यह नरम रुख चौंकाने वाला है। जिस पाकिस्तान से बांग्लादेश ने 1971 में लहू बहाकर आजादी ली थी, आज उसी के साथ ‘पीपुल टू पीपुल कनेक्ट’ की बातें हो रही हैं।
शेख हसीना सरकार हमेशा पाकिस्तान से 1971 के नरसंहार के लिए माफी की मांग करती थी, लेकिन यूनुस सरकार ने इस कड़वे इतिहास को दरकिनार कर दिया है। यूनुस की यह नीति स्पष्ट संकेत देती है कि वे भारत को संतुलित करने के लिए पाकिस्तान का कार्ड खेल रहे हैं।
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पाकिस्तान की यह ‘अवसरवादी’ कूटनीति भारत को पूर्वी मोर्चे पर घेरने की साजिश है। चीन की मौजूदगी के बाद अब पाकिस्तान का बांग्लादेश में बढ़ता दखल भारत के ‘चिकन नेक’ (सिलीगुड़ी कॉरिडोर) के लिए सुरक्षा जोखिम बढ़ा सकता है।
अगर बांग्लादेश की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए होने लगा, तो यह दशकों की कूटनीतिक मेहनत पर पानी फेर सकता है। दिल्ली को अब अपनी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत बांग्लादेश के साथ बिगड़ते रिश्तों को संभालने के लिए नए और सख्त कदम उठाने होंगे।






