दिव्या देशमुख (फोटो-सोशल मीडिया)
GM Divya Deshmukh on World Cup final: भारत की 19 वर्षीय महिला शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने कुछ दिन पहले वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया था। दिव्या ने अपने हमवतन और कहीं अधिक अनुभवी खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को टाईब्रेकर में हराकर यह खिताब हासिल की थी। दिव्या ने हम्पी को हराकर सभी को चौंका दिया था। दिव्या ने कहा कि उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं था और पाने के लिए बहुत कुछ था।
इस जीत के बाद ग्रैंडमास्टर बनी दिव्या देशमुख ने कहा कि हम्पी के खिलाफ फिडे महिला विश्व कप फाइनल खेलते समय उन पर कोई भी दबाव नहीं था। उन्होंने कहा कि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं था, इसलिए दबाव जैसा कुछ नहीं महसूस हुआ। दिव्या बुधवार को जॉर्जिया के बातुमी से नागपुर पहुंचीं और एक विश्व चैंपियन के तौर पर उनका भव्य स्वागत किया गया। हवाई अड्डे पर लोगों द्वारा दिखाए गए स्नेह से यह युवा खिलाड़ी अभिभूत थी।
उन्नीस साल की दिव्या ने दो बार की विश्व रैपिड चैंपियन 38 वर्षीय हम्पी को दो क्लासिकल दौर के ड्रॉ रहने के बाद समय-नियंत्रित टाई-ब्रेक में हराया। यह दिव्या के करियर की सबसे बड़ी सफलता रही।
दिव्या से जब पूछा गया कि क्या वह फाइनल में दबाव में थीं तो उन्होंने ‘पीटीआई वीडियोज’ से कहा कि मुझे नहीं लगा कि मैं मुश्किल में थी। मुझे लगता है कि उन्होंने (हम्पी) जो आखिरी गलती की, उसी ने मुझे जीत दिलाई। मैं सिर्फ अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रही थी। मैं किसी और चीज के बारे में नहीं सोच रही थी।
VIDEO | Nagpur: Chess champion Divya Deshmukh, on her FIDE Women's World Cup victory, said, "I don't think the match turned. I don't think I was in danger, but I won because of the last blunder."
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvqRQz) pic.twitter.com/R9VgtRTVue
— Press Trust of India (@PTI_News) July 31, 2025
दिव्या ने इस प्रतियोगिता में एक छुपीरूस्तम के तौर पर प्रवेश किया था और उनका लक्ष्य ग्रैंडमास्टर नॉर्म जीतने का था और आखिरकार वह ग्रैंडमास्टर बन गईं। दिव्या ने सिर्फ ग्रैंडमास्टर नॉर्म ही नहीं हासिल किया बल्कि टूर्नामेंट भी जीत लिया और अगले साल के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में भी जगह पक्की की। साथ ही 50,000 अमेरिकी डॉलर की पुरस्कार राशि भी हासिल की।
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इस खिलाड़ी को उम्मीद है कि उनकी सफलता के बाद भारत में महिला शतरंज काफी लोकप्रिय होगा। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस सफलता के बाद महिलाएं विशेषकर युवा खिलाड़ी इस खेल को बड़े पैमाने पर अपनाएंगी और सपना देखना शुरू करेंगी कि कुछ भी असंभव नहीं है।
दिव्या ने कहा कि मेरे पास युवा पीढ़ी के लिए नहीं बल्कि उनके माता-पिता के लिए संदेश है कि उन्हें अपने बच्चों का पूरे दिल से समर्थन करना चाहिए क्योंकि उन्हें सफलता के समय उतनी नहीं, अपनी असफलताओं के दौरान उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। बुधवार रात हवाई अड्डे पर पहुंचने पर दिव्या ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया। (भाषा इनपुट के साथ)