
यशस्वी जायसवाल और तेजस्वी जायसवाल (फोटो-सोशल मीडिया)
Yashasvi Jaiswal and Tejasvi Jaiswal: सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के एक मुकाबले में वह क्षण देखने को मिला जिसने कई क्रिकेट प्रेमियों को हैरान कर दिया। अहमदाबाद में उत्तराखंड के खिलाफ त्रिपुरा के लिए नंबर तीन पर उतरने वाले बल्लेबाज़ को देखकर कई लोगों को लगा कि यह टीम इंडिया के स्टार ओपनर यशस्वी जायसवाल हैं। लेकिन यह यशस्वी नहीं थे, उनके बड़े भाई तेजस्वी जायसवाल थे। जिन्होंने अपनी शानदार पारी से सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा।
त्रिपुरा की ओर से खेलते हुए तेजस्वी जायसवाल ने 37 गेंदों पर 51 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने चार छक्के और एक चौका लगाया। वह 60/1 के स्कोर पर मैदान में उतरे और टीम को 163/6 तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। हालांकि मैच में उत्तराखंड ने आखिरी गेंद पर चार विकेट से जीत हासिल कर ली, लेकिन स्पॉटलाइट तेजस्वी पर ही रही।
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तेजस्वी और यशस्वी जायसवाल की कहानी भारतीय क्रिकेट की सबसे भावुक और प्रेरणादायक कहानियों में से एक है। दोनों भाई क्रिकेटर बनने का सपना लेकर मुंबई आए थे, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि सिर्फ एक ही भाई अपने सपने को आगे बढ़ा सकता था।
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ऐसे में बड़े भाई तेजस्वी ने खुद का क्रिकेट करियर छोड़ दिया। उन्होंने दिल्ली में नौकरी की और अपनी कमाई से छोटे भाई यशस्वी को सपोर्ट किया। उन्होंने रहने-खाने से लेकर ट्रेनिंग के खर्च तक उठाया। यशस्वी आगे बढ़ते गए, घरेलू क्रिकेट में चमके और आज भारत की तीनों फॉर्मेट की टीम का हिस्सा हैं।
परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरने के बाद तेजस्वी ने दोबारा अपने क्रिकेट सफर की शुरुआत की और अब त्रिपुरा की टीम से खेलते हुए अपने बचपन के सपने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने अर्धशतकीय पारी खेलकर यह साफ कर दिया कि उनमें भी टैलेंट की कोई कमी नहीं है और क्रिकेट खेलने का जज्बा आज भी वैसा ही है। बस मौका मिलने की देर थी। अब देखना होगा कि क्या तेजस्वी भी अपने छोटे भाई की तरह भारतीय टीम में शामिल हो पाते हैं या नहीं।






