बैकुंठपुर विधानसभा सीट (फोटो-सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर, गोपालगंज जिले की बैकुंठपुर विधानसभा सीट एक महत्वपूर्ण रणभूमि के रूप में उभरी है। राजनीतिक रूप से अस्थिर मानी जाने वाली यह सीट गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है। यहां की राजनीति में दलगत निष्ठा से ज्यादा व्यक्तिगत प्रभाव और जातीय समीकरण मायने रखते हैं।
बैकुंठपुर क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जहां धान, गेहूं और गन्ने की खेती प्रमुखता से होती है। यह इलाका बैकुंठपुर, सिधवलिया प्रखंडों और बरौली प्रखंड की कुछ पंचायतों को मिलकर बना है। यहां की सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की कमी है, जिसके कारण बड़ी संख्या में युवा बेहतर अवसरों की तलाश में पलायन करते हैं। सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपेक्षित विकास की कमी आज भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा है। स्थानीय लोगों के बीच विकास कार्यों की धीमी गति पर असंतोष चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
1951 में अस्तित्व में आई इस सीट का राजनीतिक इतिहास बेहद रोचक रहा है। शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का वर्चस्व रहा, जिसने पांच बार जीत दर्ज की। यह सीट कई दिग्गजों की कर्मभूमि रही है। ब्रज किशोर नारायण सिंह ने 1977 से 1990 तक लगातार चार बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद, 1995 में लाल बाबू प्रसाद यादव (जनता दल) ने जीत दर्ज कर राजनीति को यादव-केंद्रित मोड़ दिया। राजद ने कुल तीन बार यहां जीत हासिल की है। 2000 और 2010 में मंजीत कुमार सिंह (समता पार्टी/जदयू) ने जीत दर्ज की।
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बैकुंठपुर का चुनावी गणित मिश्रित जातीय समीकरण पर टिका है। यहां यादव, भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मण समुदायों की अच्छी संख्या है।
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, बैकुंठपुर में कुल 3,35,737 मतदाता हैं। पलायन के मुद्दे और स्थानीय विकास की मांग के बीच, बैकुंठपुर के मतदाता इस बार सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी राजद के प्रदर्शन का कड़ा मूल्यांकन करेंगे। यह सीट एक बार फिर से कांटे के मुकाबले की गवाह बनने को तैयार है, जहां विकास और जातीय समीकरणों के बीच संतुलन साधना ही जीत की कुंजी होगी।