प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: AI)
Bhandara scholarship News: सामाजिक न्याय विभाग की ओर से अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए चलाई जा रही विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं में इस वर्ष मंजूरी प्रक्रिया बेहद धीमी दिखाई दे रही है। वित्तीय वर्ष 2025 26 के लिए विभाग को भंडारा जिले से कुल 2,369 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से अब तक केवल 155 आवेदनों को ही मंजूरी दी गई है।
वहीं 2,027 आवेदन शिक्षण संस्थाओं के स्तर पर लंबित हैं और केवल 237 प्रस्ताव ही विभाग को भेजे गए हैं। इस विलंब के कारण छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति का लाभ नहीं मिल पाने की संभावना है।
पिछले वर्ष 2024-25 में 8,959 विद्यार्थियों को 38।54 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति वितरित की गई थी, जबकि इस वर्ष अभी तक केवल 155 छात्रों को मंजूरी मिली है। इसके चलते हजारों विद्यार्थियों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
छात्रवृत्ति की प्रक्रिया के तहत विद्यार्थियों के आवेदन शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से सामाजिक न्याय विभाग को भेजे जाते हैं, लेकिन संस्थाओं द्वारा प्रस्तावों को देर से भेजना ही पूरी प्रक्रिया में मुख्य अड़चन बन गया है। छात्रवृत्ति की राशि डीबीटी प्रणाली के माध्यम से सीधे छात्रों और संस्थाओं के खातों में दो चरणों में जमा की जाती है।
इस योजना में केंद्र सरकार का 60% और राज्य सरकार का 40% अंशदान होता है। संस्था स्तर पर 237 आवेदन मंजूर, 2,027 आवेदन लंबित, विभाग के पास 82 प्रस्ताव लंबित, 34 आवेदन त्रुटिपूर्ण होने से वापस किए गए, जबकि 71 आवेदन रद्द कर दिए गए हैं।
इस योजना के अंतर्गत 2,025 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से केवल 149 को मंजूरी मिली है। 1,694 आवेदन अब भी संस्थाओं के पास लंबित हैं। अन्य योजनाओं की स्थिति भी लगभग समान है। आईटीआई छात्रों के लिए शुल्क परतावा योजना के अंतर्गत 149 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 148 संस्थाओं के पास लंबित हैं और किसी भी छात्र को अभी तक राशि वितरित नहीं की गई है।
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वितरण स्थिति (2024-25) में एससी जीओआईएस- योजना मंजूर राशि 38.10 करोड़, वितरित राशि 33.67 करोड़। एससी फ्रीशिप योजना मंजूर एवं वितरित राशि 4.86 लाख रुपए है। आरएसएमएस योजना निधि उपलब्ध नहीं हुई है।
छात्रवृत्ति योजनाओं का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को शिक्षा का अवसर प्रदान करना है। किंतु मंजूरी और वितरण में हो रही देरी विद्यार्थियों की प्रगति में बड़ी बाधा बन रही है। डिजिटल प्रणाली लागू होने के बावजूद विभाग और संस्थाओं के बीच समन्वय की कमी प्रमुख कारण मानी जा रही है।
सामाजिक न्याय विभाग ने शिक्षण संस्थाओं से लंबित प्रस्ताव शीघ्र भेजने का आग्रह किया है ताकि कोई भी पात्र छात्र छात्रवृत्ति से वंचित न रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि शासन को इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए प्रक्रिया को तेज करने के प्रभावी उपाय करने चाहिए, अन्यथा हजारों छात्रों का भविष्य आर्थिक संकट में फंस सकता है।