भारत का अपमान क्यों कर रहे हैं ट्रंप (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आजकल बात-बात पर हमारा अपमान करने पर क्यों उतारू रहते हैं? हमारे बार-बार नकारने के बावजूद वह दुनिया के अलग-अलग मंचों और मौकों पर कम से कम 7 बार यह डींग हांक चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच जंग उन्होंने ही रुकवाई।इसके पहले भी वह हमें कई मंचों से टैरिफ किंग कह चुके हैं और अब तो वो आईफोन की उत्पादक कंपनी एप्पल को भारत में आईफोन न बनाने की धमकी दे रहे हैं।आखिर क्या वजह है कि ट्रंप हमारे पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं? 23 मई को ट्रंप ने तीसरी बार दोहराया कि आईफोन का निर्माण एप्पल को भारत नहीं, बल्कि अमेरिका में करना चाहिए।
उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक को धमकी देते हुए कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करते, तो वह उन पर कम से कम 25 फीसदी का टैरिफ लगाएंगे।ट्रंप की इस धमकी के बाद एप्पल का शेयर 4 फीसदी तक नीचे आ गया, इससे उसे अरबों डॉलर का नुकसान हो गया।लेकिन ट्रंप अपनी हरकतों से बाज नहीं आएं।ट्रंप ऐसी अकड़भरी राजनीतिक शैली क्यों अपना रहे हैं? वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इससे वह अब अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में ताकतवर राष्ट्रपति कहलाने का तमगा हासिल कर ले।तथ्य यह है कि अमेरिका की 9 बड़ी कंपनियां 80 प्रतिशत प्रोडक्ट बाहरी देशों में बना रही हैं, जहां कम लागत आती है.
ट्रंप कारोबारी हैं।उनकी सोच, भाषा और रणनीति भी उनके इसी लहजे की पुष्टि करते है।उनकी बातचीत की शैली में लगातार ‘मैं’ हावी रहता है, ‘मैंने सौदा किया’, ‘मेरे कारण युद्ध विराम हुआ’, ‘मैंने चीन को अपनी शर्तों पर झुका दिया’।इस तरह के बयान ट्रंप ही दे सकते हैं।दरअसल वह ‘डील मैकिंग’ के लिए किसी भी देश या राजनेता का लिहाज नहीं करते, वह उस पर सार्वजनिक रूप से दबाव बनाने की कोशिश करते हैं।अपने समर्थकों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वे वैश्विक नेता हैं, उन्होंने परमाणु युद्ध को रुकवाया।रुकव भारत ने उनके दावे का बार-बार खंडन किया है और कहा कि भारत ने किसी दूसरे देश की मध्यस्थता के चलते युद्ध विराम नहीं किया।
ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और वाइन जैसे उत्पादों को लेकर अक्सर ये जुमला दोहराते हैं कि भारत, अमेरिका से सामान लेने पर बहुत अधिक टैक्स लेता है, जबकि अमेरिका ऐसा नहीं करता।डेयरी पदार्थ खपाना चाहते हैं दरअसल भारत और अमेरिका के बीच आपसी व्यापार में अमेरिका घाटे में है और ट्रंप को यह बात चुभती है।अमेरिका किसी भी कीमत पर अपने डेयरी और वाइन प्रोडक्ट को भारत में खपाना चाहता है।लेकिन भारतीय लोग अमेरिका के डेयरी प्रोडक्ट को नहीं पसंद करते, अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट वेजीटेरियन होने के बजाय आम तौर पर नॉन वेजीटेरियन होते हैं।भारत अपनी कृषि अर्थव्यवस्था को अमेरिका के लिए नहीं खोलना चाहता और ट्रंप हर हाल में इसे खुलवाना चाहते हैं।उन्होंने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि भारत मुझसे गिड़गिड़ाता है कि हम आप पर कोई टैक्स नहीं लगाएंगे।
अमेरिका में निजी संबंधों के बीच दादागीरी काम नहीं आती, इसलिए टिम कुक ने ट्रंप के सुझाव को एक कान से सुना और दूसरे कान से उड़ा दिया।जब ट्रंप को लगा कि टिम कुक उनको कोई भाव ही नहीं दे रहे, तो उन्होंने सार्वजनिक मंचों से एप्पल को लताड़ना शुरू किया और अगर एप्पल भारत की जगह अमेरिका में अपना उत्पादन शुरू कर देता है, तो उसकी उत्पादन लागत हर साल 10 अरब डॉलर से ज्यादा बढ़ जाएगी, जिससे उसका लाभ तो संकट में पड़ेगा ही, उसे सरवाईव करना भी मुश्किल हो जाएगा।
इसलिए एप्पल ने भारत से अपनी उत्पादन फैक्टरी अमेरिका में ले जाने का निर्णय नहीं किया।दरअसल ट्रंप जब विशेषकर भारत को इस तरह नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं, तो उनके समर्थक मतदाताओं को लगता है कि वे अमेरिका की नौकरियों की रक्षा कर रहे हैं।वैसे भी अपने चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी फर्स्ट टारगेट को हासिल करने के लिए भारत, चीन, वियतनाम और मैक्सिको को अपने ढंग से विलेन बना चुके हैं।वह भारत के दोस्त होने की जगह बात-बात पर भारत का अपमान करते नजर आते हैं।
लेख- लोकमित्र गौतम के द्वारा