केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, फोटो- IANS
Swachh Bharat Mission 5.0: स्वच्छ भारत मिशन की दिशा में सरकार ने एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। दिल्ली के नेहरू पार्क में ‘विशेष स्वच्छता अभियान 5.0’ की शुरुआत करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस अभियान के पिछले चरणों के दौरान ई-कचरे और बेकार सामग्री की बिक्री से सरकार को 3,296.71 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। इसके अलावा सरकारी दफ्तरों में साफ-सफाई के बाद 696.27 लाख वर्ग फुट से अधिक स्थान को फिर से उपयोग में लाया गया है।
सिंह ने कहा कि केवल साफ-सफाई ही नहीं, बल्कि बेकार पड़ी चीजों के दोबारा उपयोग और बिक्री से सरकार को बड़ा आर्थिक लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि ई-कचरे और कबाड़ से लगभग 3,296.71 करोड़ रुपये कमाए गए हैं, जिससे यह अभियान आर्थिक रूप से भी सफल रहा है।
पिछले चार वर्षों में इस अभियान के माध्यम से सरकारी कार्यालयों की कार्यक्षमता में सुधार हुआ है। 696.27 लाख वर्ग फुट से अधिक जगह को साफ कर उपयोग के लायक बनाया गया है, जिससे प्रशासनिक कार्यों में तेजी आई है। अभियान के पहले चरणों में अब तक 137.86 लाख पुरानी और अनुपयोगी फाइलें हटाई गई हैं। साथ ही देशभर में 12.04 लाख से अधिक स्थानों की सफाई की जा चुकी है। इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और सुगमता बढ़ी है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. सिंह ने श्रमदान किया और ‘एक पेड़ मां के नाम‘ अभियान के तहत पौधारोपण भी किया। उन्होंने स्वच्छता को जन आंदोलन बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की सराहना की और कहा कि यह अभियान अब सिर्फ सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी बन चुका है।
सफाई कर्मचारियों की भूमिका को स्वीकार करते हुए डॉ. सिंह ने उन्हें “सफाई मित्र” कहकर सम्मानित किया और उन्हें सुरक्षा किट और मिठाइयां भेंट कीं। उन्होंने कहा कि इन कर्मियों की मेहनत के बिना अभियान की सफलता संभव नहीं थी।
मंत्री ने बताया कि विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने अगले चरण के लिए पहले ही अपने लक्ष्यों को साझा कर दिया है, जिनमें लाखों शिकायतों और फाइलों की समीक्षा शामिल है। इसके अलावा 10 अक्टूबर को ‘सुशासन और अभिलेख’ नाम से एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी, जिसमें पुराने अभियानों में मिली ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण फाइलें दिखाई जाएंगी।
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह अभियान न केवल सफाई तक सीमित है, बल्कि यह प्रशासनिक पारदर्शिता, दक्षता और नागरिक सहभागिता का प्रतीक भी बन चुका है। उन्होंने इसे महात्मा गांधी की जिम्मेदारी और जन-शक्ति के विचारों को आगे बढ़ाने वाला एक प्रयास बताया।