आज का निशानेबाज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि ने मदुरै के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्रों को अपने साथ 3 बार जय श्रीराम का नारा लगाने को कहा. इसके बाद डीएमके, कांग्रेस और द्रविड कजगम (डीके) जैसी पार्टियों ने उनकी आलोचना की और उन्हें राज्यपाल पद से हटाने की मांग की। लगता है कि बीजेपी नेताओं को खुश करने के लिए राज्यपाल ने ऐसा किया।’
हमने कहा, ‘राम नाम का कलियुग में बड़ा महत्व है। नामस्मरण करना बहुत अच्छी बात है,महर्षि वाल्मिकी और संत तुलसीदास जैसे कवि के बाद तमिलनाडु के राज्यपाल रवि राम नाम का प्रचार कर रहे हैं। राम नाम से अंधकारपूर्ण जीवन में उजाला आता है। रामायण में लिखा है- राम नाम मनि दीप धरू, जीह देहरी द्वार, तुलसी भीतर बाहरू जो चाहत उजियार. यदि भीतर और बाहर उजाला चाहते हो तो राम नाम के मणि रूपी दीप को अपनी जीभ पर रखो।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, डीएमके नास्तिक विचारधारावाली पार्टी है तो कांग्रेस भी खुद को सिक्यूलर बताते हुए अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के लिए हिंदुत्व के प्रति उदासीन रही लेकिन अब समय बदल गया है. अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बना और देश में राम नाम की गूंज होने लगी. बीजेपी, विहिप, बजरंग दल ही नहीं, करोड़ों हिंदुओं ने जय श्रीराम का नारा लगाया।
राम का नाम लेने में शर्म कैसी! राम नाम के प्रति गहरी आस्था के कारण ही कितने ही लोगों के नाम में राम लगा है जैसे कि रामगोपाल, रामलाल, रामप्रसाद, रामप्रकाश, रामचंद्र, रामकिशोर, रामबहोर, रामसहाय, रामविलास, रामनिवास, रामकृष्ण, आत्माराम, तुलसीराम, सीताराम, शिवराम, जगजीवनराम, बाबूराम, चांदूराम इत्यादि.’ हमने कहा, ‘विरोधियों ने राज्यपाल द्वारा जय श्रीराम कहने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वह आरएसएस के एजेंडे पर चल रहे हैं. उन्हें नहीं हटाया गया तो जनता और छात्र कड़ा विरोध करेंगे।
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ऐसे लोग भूल जाते हैं कि आरएसएस तो बाद में बना, भारत में सदियों से लोग एक-दूसरे का अभिवादन करते समय राम-राम या जय रामजी कहते आ रहे हैं। राम नाम में महात्मा गांधी की गहरी आस्था थी। उनकी समाधि पर ‘हे राम’ अंकित है जो उनके अंतिम शब्द थे. राम नाम महामंत्र है। तमिलनाडु के लोगों को मालूम होना चाहिए कि तमिल में कम्बन रामायण लिखी गई थी। महाराष्ट्र में संत एकनाथ ने भावार्थ रामायण और कृत्तिवास ने बांग्ला भाषा में रामायण लिखी थी. लोगों को समझना चाहिए कि राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंतकाल पछताएगा, जब प्राण जाएंगे छूट!’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा