लालबागचा राजा (Image- Social Media)
Mumbai News: मुंबई के प्रतिष्ठित ‘लालबागचा राजा’ की मूर्ति को रविवार रात करीब 9:15 बजे अरब सागर में विसर्जित कर दिया गया। महानगर के दक्षिणी हिस्से में निर्धारित विसर्जन स्थल गिरगांव चौपाटी पर पहुंचने के 12 घंटे से अधिक समय बाद मूर्ति का विसर्जन हुआ। अधिकारियों ने बताया कि समुद्र तट पर एकत्र हुए हजारों श्रद्धालुओं के जयकारों, ढोल-नगाड़ों और पटाखों के बीच पुलिस दल की देखरेख में मछुआरों की नौकाओं द्वारा खींचकर विशेष रूप से निर्मित इस मूर्ति को गहरे समुद्र में ले जाया गया और उसका विसर्जन किया गया।
उन्होंने बताया कि यह मूर्ति विसर्जन के सबसे विलंबित कार्यक्रमों में से एक था। आमतौर पर, ‘लालबागचा राजा’ की मूर्ति सुबह नौ बजे से पहले दक्षिण मुंबई के गिरगांव चौपाटी के पास अरब सागर में विसर्जित कर दी जाती है। रविवार सुबह करीब आठ बजे गिरगांव चौपाटी पर मूर्ति पहुंचने के करीब 13 घंटे बाद और शनिवार को दोपहर 12:30 बजे लालबाग से भव्य यात्रा शुरू होने के 32 घंटे बाद आखिरकार विसर्जन संभव हो सका।
अधिकारियों ने पहले बताया था कि समुद्र में 4.42 मीटर ऊंची लहरों और तकनीकी चुनौतियों के कारण मूर्ति विसर्जन में देरी हुई। कई असफल प्रयासों के बाद, सैकड़ों स्वयंसेवकों और मछुआरों की मदद से शाम 4:45 बजे मूर्ति को एक नवनिर्मित राफ्ट पर ले जाया गया, जिसे देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी।
‘लालबागचा राजा’ न केवल 10-दिवसीय उत्सव के दौरान सबसे अधिक प्रशंसित मूर्ति है, बल्कि इसका विसर्जन भी हजारों भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय क्षण होता है, जो मध्यरात्रि के बाद से चौपाटी पर उमड़ पड़ते हैं और मध्य तथा दक्षिण मुंबई की भीड़-भाड़ वाली सड़कों से होते हुए सूर्योदय तक इसके आगमन की प्रतीक्षा करते हैं।
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लालबागचा राजा बहुत लोकप्रिय हैं। उनके दर्शन के लिए भक्त न केवल मुंबई से बल्कि पूरे देश से आते हैं। बड़ी-बड़ी हस्तियां भी दर्शन के लिए आती हैं। लाखों भक्त बप्पा के दर्शन करते हैं। विशेष रूप से जो भक्त लगातार 11 दिनों तक दर्शन नहीं कर पाते, उनके लिए बप्पा की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। यह शोभायात्रा भी लाखों भक्तों से भरी रहती है और छोटे-छोटे गलियों से होकर गुजरती है।