नवभारत निशानेबाज (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि टैरिफ के मामले में वह भारत के साथ रेसीप्रोकल तरीके से पेश आएंगे। आप तो जानते हैं कि रेसीप्रोकल का मतलब जैसे को तैसा होता है। ट्रंप की इस धमकी के बारे में आप क्या कहेंगे?’
हमने कहा, ‘हमें अपनी धमक कायम रखते हुए धमकियों से डरना नहीं चाहिए। जनसंख्या के लिहाज से भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। 140 करोड़ लोगों की ताकत प्रधानमंत्री मोदी के पीछे है इसलिए किसी गीदड़ भभकी के सामने झुकने का सवाल ही नहीं उठता।
याद कीजिए बांग्लादेश युद्ध के समय तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने बंगाल की खाड़ी में अपनी नौसेना का 7वां बेड़ा भेजने की धमकी दी थी तो इंदिरा गांधी ने कड़े शब्दों में कहा था कि उसे आने दो, हमारा विक्रांत उससे निपट लेगा। इंदिरा के तेवर देखकर अमेरिका समझ गया था कि यहां उसकी दादागिरी नहीं चलेगी।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, ट्रंप की आदत धमकी देने की है। वह पेशे से बिल्डर हैं जिनकी नीयत कनाडा और ग्रीनलैंड की जमीन हथियाने की है। वे डिप्लोमेसी की सभ्य भाषा नहीं जानते। आपको याद होगा कि कोरोना काल में भी ट्रंप ने भारत को धमकी देते हुए कहा था कि रेमेडेसीवीर दवा की खेप तुरंत अमेरिका भेजो वरना…तब भारत पूरी दुनिया की फार्मेसी बन गया था। उसने सभी देशों को दवाइयां और वैक्सीन मुफ्त में दी। ट्रंप को भारत का अहसान मानना चाहिए।’
हमने कहा, ‘ट्रंप की आदत धौंस जमाने की है। वह भूल गए कि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘नमस्ते ट्रंप’ का आयोजन कर गुजरात में उनका कितना भव्य स्वागत किया था। मोदी के व्हाइट हाउस जाने पर ट्रंप उन्हें रिसीव करने बाहर नहीं आए बल्कि एक जूनियर अधिकारी को भेज दिया।
मोदी से चर्चा के दौरान ही ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को हथकड़ी-बेड़ी में जकड़ कर सैनिक विमान से भारत भेजा था। ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका ने भारत के चुनाव के समय बड़ी रकम भेजी थी। उनका आशय था कि बीजेपी ने उन्हीं की वजह से चुनाव जीता। ट्रंप के घमंडी और अकड़बाज व्यवहार को देखते हुए क्या करना चाहिए?’
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पड़ोसी ने कहा, ‘पोरस ने सिकंदर से कहा था कि ऐसा बर्ताव करो जैसा एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है। ट्रंप दूसरों का सम्मान करेंगे तो उन्हें भी सम्मान मिलेगा।’