भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, एक गजल का मुखड़ा है- सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है?’ हमने कहा, ‘आप महानगरों में प्रदूषण, धुएं के बीच रहनेवाले परेशान शख्स की चिंता मत कीजिए।उसकी जिंदगी ऐसी ही मुश्किलों और मजबूरियों के बीच बीतेगी।आपको शख्स को भूलकर ‘शक्स’ के बारे में सोचना चाहिए जिसने अंतरिक्ष में 20 दिनों से ज्यादा रहकर 300 बार से भी अधिक सूर्योदय और सूर्यास्त देखे हैं।शक्स का अर्थ है भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला! उसके साथी इसी नाम से उसे पुकारते हैं।
उसने 1.3 करोड़ किलोमीटर की अंतरिक्ष यात्रा की है और एक्सिओम मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहकर अनेक वैज्ञानिक प्रयोग किए हैं।शक्स अब 22.5 घंटे की फ्लाइट से पृथ्वी पर लौट रहा है।उसके लौटने की खुशी में आप गा सकते हैं- घर आया मेरा परदेसी, प्यास बुझी मेरी अंखियन की!’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, परदेसी या परप्रांतीय जैसे शब्दों का इस्तेमाल मत कीजिए।यदि लखनऊ के रहने वाले शक्स या शुक्ला को अंतरिक्ष से वापस आने पर मनसे के लोगों ने घेर लिया और उसने मराठी बोलने में असमर्थता जताई तो उसकी पिटाई कर दी जाएगी.’
हमने कहा, ‘इस बात की चिंता मत कीजिए।शक्स और उनके साथी एस्ट्रोनॉट जिस ‘ग्रेस’ कैप्सूल में बैठे हैं वह अमेरिकी समुद्र में स्प्लैश डाउन करेगा अर्थात छपाक से उतरेगा।फिर उस कैप्सूल को किनारे लाया जाएगा।लगभग एक सप्ताह तक शक्स और उनके साथियों को क्वैरेंटाइन में रखा जाएगा ताकि वह पृथ्वी के वातावरण से तालमेल बिठा सकें।अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं था।ये लोग भारहीनता की स्थिति में इतने दिनों तक रहे।
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यहां लौटने पर इन्हें संतुलन के साथ कदम जमा कर चलने का अभ्यास करना होगा।वह जीवाणुयुक्त वातावरण में रहे, अब उन्हें फिर से प्रदूषण के बीच रहना होगा।उन्हें इन्फेक्शन न हो, इसके लिए उन्हें एकदम खुले में नहीं छोड़ा जाएगा.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यदि शुक्ला को शक्स नाम दे दिया गया तो किसी मिश्रा को क्या कहकर पुकारेंगे?’ हमने कहा, ‘आप चाहें तो मिश्रा को ‘मिक्स’ कह सकते हैं।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा