ड्रोन
नागपुर: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, शांति के प्रतीक कबूतर को याद कीजिए, जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू स्वाधीनता दिवस और बाल दिवस पर उड़ाया करते थे। जब उन्होंने गुटनिरपेक्ष देशों का संगठन बनाया, तो नासर, मार्शल टीटो और सुकार्णो जैसे नेताओं की उपस्थिति में विश्व शांति की कामना करते हुए कपोत यानी कबूतर को आकाश में उड़ने के लिए छोड़ा था। समय कितना बदल गया! आज कोई भी नेता न तो कबूतर पालता है न उड़ाता है।’
हमने कहा, ‘अब भारत का शक्तिशाली नेतृत्व ड्रोन उड़ाता है, डव यानी कबूतर नहीं! डव तो अब एक नहाने के साबुन का नाम रह गया है। आपको कबूतर से इतना प्रेम है, तो कवयित्री माया गोविंद का लिखा फिल्मी गीत गाइए- चढ़ गया ऊपर से, अटरिया पे लोटन कबूतर रे! यदि आपका कोई बंदा आपसे हुज्जत करने लगे, तो उसे डांटते हुए कहिए- हमारा कबूतर और हमीं से गुटरगूं!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, इतिहास को याद कीजिए। सबसे पहले शेरशाह सूरी ने पालतू और प्रशिक्षित कबूतरों के जरिए विश्व ‘की पहली डाक सेवा शुरू की थी। कबूतर के पैर में चिट्ठी बांधकर उसे उड़ा दिया जाता था। वह संदेश लेकर पंख फड़फड़ाता हुआ सही ठिकानेदेश लेकर दुखता था। आपको सलमान खान और भाग्यश्री की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ का गीत याद होगा, जिसके बोल थे- कबूतर जा-जा-जा, पहले प्यार की पहली चिट्ठी साजन को दे आ!’
हमने कहा, ‘मोबाइल पर एसएमएस भेजने, चैटिंग करने, कांफ्रेंस करने और वीडियो कॉल पर देश-विदेश में कहीं भी एक-दूसरे से बात करने के आधुनिक युग में कबूतर डाक सेवा की चर्चा करने में कोई तुक नहीं है।’
हमने कहा, ‘वैसे यूनानी चिकित्सा पद्धति में लकवा या पक्षाघात के मरीज को जंगली कबूतर के शोरवे से मालिश करने का नुस्खा बताया गया है। इसके अलावा आपको मालूम होना चाहिए कि कबूतर पालना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। कबूतर की विष्ठा के संपर्क में आने से सांस की गंभीर बीमारियां जैसे ब्रांकाइटिस, दमा और फेफड़ों का संक्रमण होता है।’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आप आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने वाले ड्रोन की तारीफ कर रहे हैं, तो हमारा दावा है कि ड्रोन का आविष्कार कौरव-पांडवों के गुरू आचार्य द्रोण ने किया था। देखिए द्रोण और ड्रोन नाम में कितनी समानता है!’