
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर करने के उद्देश्य से असम में एक उल्लेखनीय कदम उठाया गया है. राज्य विधानसभा ने नगर निकायों के निर्वाचन क्षेत्रों में बारी-बारी से महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें 10 वर्ष के लिए आरक्षित करने के उद्देश्य से 2 विधेयक पारित किए. इसके पहले बिहार में नीतीशकुमार सरकार ने पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया था.
असम नगरपालिका विधेयक 2021 के अंतर्गत प्रस्ताव है कि राज्य की किसी भी नगरपालिका में पिछड़े वर्ग (अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति) की महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों सहित प्रत्यक्ष चुनाव से भरी जाने वाली सीटों की कुल संख्या का 50 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगा. इस प्रकार नगरपालिका सदन में आधी सदस्यता महिलाओं की रहेगी. राज्य की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस दिशा में विशेष पहल की है.
नगरपालिका में 50 फीसदी आरक्षण के बाद महिलाएं विधानसभा में भी आरक्षण चाहेंगी. महिलाओं और बच्चों के कल्याण से जुड़े मुद्दे व सामाजिक सरोकार वे बेहतर समझ सकती हैं. देश की आधी आबादी महिलाओं की है. यद्यपि राजनीति, प्रशासन, उद्योग, शिक्षा, विज्ञान, खेल हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी कुशलता सिद्ध कर दी है लेकिन अब भी वे समान न्याय से वंचित हैं. एक ही प्रकार का काम करने पर भी कई जगह पुरुष की तुलना में महिला को कम वेतन दिया जाता है.
राजनीति में भी उन्हें आगे बढ़ने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. समाज व देश के सर्वांगीण विकास के लिए महिलाओं को उनका हक दिया जाना चाहिए. इसके लिए आरक्षण जरूरी है. संसद और विधानसभाओं में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की मांग हुई थी लेकिन किसी भी पार्टी ने इस दिशा में गंभीरता नहीं दिखाई. अब यदि डीलिमेटेशन के बाद संसद में सीटों की तादाद बढ़ती है तथा नए संसद भवन में बढ़ी हुई सीटों की व्यवस्था होती है तो महिला सांसदों की तादाद भी बढ़ाई जानी चाहिए.






