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नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आमतौर पर पत्र रिश्तेदारों या मित्रों को लिखे जाते हैं। कुछ लोग अखबार के संपादक के नाम भी पत्र लिखते हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को न जाने क्या सूझी, उन्होंने आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिख डाला। जब उनकी पार्टी का संघ से कोई लेना-देना नहीं तो पत्र किसलिए लिखना! यदि पत्र लिख भी दिया तो उसे जाहिर क्यों करना!’’
हमने कहा, ‘‘केजरीवाल को संघ की कार्यपद्धति नहीं मालूम! संघ में सवाल नहीं पूछे जाते बल्कि आदेश का पालन किया जाता है। वहां क्यों, कैसे, कौन, कब कहां, किस तरह जैसे सवाल स्वयंसेवक नहीं पूछते। वहां बहस की कोई गुंजाइश नहीं होती। केजरीवाल का सरसंघ चालक से सवाल पूछना बेमतलब है। संघ ऐसे लोगों को जवाब देकर विवाद बढ़ाना नहीं चाहता।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, केजरीवाल संघ के स्वयंसेवक नहीं हैं इसलिए उन पर अनुशासन लागू नहीं होता। उन्होंने शिकायती अंदाज में लिखा कि भाजपा लगातार जनतंत्र को कमजोर करने का काम कर रही है। क्या संघ का उसको समर्थन है? क्या संघ इसके बावजूद दिल्ली के चुनाव में बीजेपी का साथ देगा?’’
हमने कहा, ‘‘संघ गैरसरकारी स्वयंसेवी संगठन है। उस पर राइट टु इन्फार्मेशन या सूचना का अधिकार लागू नहीं होता। केजरीवाल का पत्र वेस्ट पेपर बास्केट में फेंक दिया जाएगा। वह एक बाल स्वयंसेवक से भी पूछते तो वह रटा-रटाया उत्तर देता कि संघ एक सांस्कृतिक सेवाभावी संगठन है जिसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। यदि व्यक्तिगत रूप से संघ का कोई स्वयंसेवक समान विचार वाली राजनीतिक पार्टी की मदद करता है तो बात अलग है। संघ का हर कार्य राष्ट्र को समर्पित है।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सभी जानते हैं कि जब संघ मदद करता है तो बीजेपी को बंपर सीटें मिल जाती हैं और जब हाथ खींच लेता है तो बहुमत का टोटा पड़ जाता है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अकड़ते हुए कहा था कि बीजेपी इतनी मजबूत हो गई है कि उसे संघ की मदद की जरूरत नहीं है। उनके इस गर्व भरे बयान के बाद लोकसभा चुनाव में संघ ने बीजेपी को उसके हाल पर छोड़ दिया। अबकी बार 400 पार का नारा लगानेवाली बीजेपी को सिर्फ 240 सीटें मिलीं। सरकार बनाने के लिए नीतीशकुमार और चंद्रबाबू नायडू की पार्टियों की मदद लेनी पड़ी थी। जब संघ ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सहयोग दिया तो उसे सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। बीजेपी का हर बड़ा नेता सबसे पहले आरएसएस का स्वयंसेवक है। संघ व बीजेपी में दूध और पानी जैसा मेल है। यह बात केजरीवाल को समझनी चाहिए। यदि भागवत से उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता तो केजरीवाल श्रीमद् भागवत पढ़ें।’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा