नागमणि कुशवाहा का कमाल (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके बिहार के नेता नागमणि कुशवाहा ने 14वीं बार दलबदल कर एक अनोखा रिकार्ड बनाया है।’ हमने कहा, ‘जब उनका नाम नागमणि है तो उन्हें केंचुल बदलने से कौन रोक सकता है। डॉक्टर दिलबदल आपरेशन करते हैं तो नेता भी दलबदल करते हैं। बीजेपी ऑपरेशन लोटस के जरिए व्यापक दलबदल करवा देती है। महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी का 2 धड़ों में विभाजित हो जाना इसकी मिसाल है।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, नागमणि की पूरी हिस्ट्री तो सुनिए। वह बीजेपी में तीसरी बार गए हैं। राष्ट्रीय जनता दल में 2 बार रह चुके हैं। नीतीशकुमार की पार्टी जदयू में भी 2 बार रहे हैं। नागमणि 1 बार शरद पवार की एनसीपी में और 1 बार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा में भी रह चुके हैं। वह हर पार्टी में रहने का अनुभव लेते हैं। उनकी तुलना ऐसे दिलफेंक हीरो से की जा सकती है जो गाता है- मस्त बहारों का मैं आशिक, मैं जो चाहे यार करूं, चाहे गुलों के साए से खेलूं, चाहे कली से प्यार करूं!’ हमने कहा, नागमणि 1999 में पहली बार चतरा चुनाव क्षेत्र से सांसद चुने गए।
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अटल सरकार को समर्थन देकर केंद्र में मंत्री बने। फिर बीजेपी छोड़कर प्रशांत किशोर के साथ शोषित इन्कलाब पार्टी बनाई उनसे मोहभंग हुआ तो फिर बीजेपी में आ गए। 70 वर्षीय नागमणि ने कहा है कि अब बीजेपी मेरा आखिरी मुकाम हैं। इसके बाद पार्टी नहीं बदलूंगा।’ पड़ोसी ने कहा, निशानेबाज, जिस लहरी स्वभाव के नेता ने अब तक 14 बार पार्टी बदली है उसका क्या भरोसा! वह फिर 15वीं बार दलबदल कर सकता है। गिरगिट रंग बदलने के अपने स्वभाव को कभी छोड़ नहीं सकता। राजनीति की थाली के हर पकवान का वह स्वाद लेता है।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा