हवा हवाई और हुई लड़ाई ( सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, कहते हैं कि युद्ध पहले मानव के मस्तिष्क में जन्म लेता है और फिर जमीन पर साकार होता है। नेतन्याहू, पुतिन, जेलेंस्की सभी अपने मस्तिष्क में उठती हिंसा की तरंगों से युद्ध पिपासु बने हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हिटलर के दिमाग में भी हिंसा का ज्वालामुखी फूटा था। इस समय विमान की फ्लाइट और इजराइल-ईरान की फाइट खबरों में है। इस युद्ध की वजह से सभी एयरलाइंस को इन संघर्षरत देशों ही नहीं बल्कि इराक, जार्डन और सीरिया के हवाई मार्ग को भी टालना पड़ रहा है। यह सब उड़ान रहित क्षेत्र या नो फ्लाई जोन घोषित कर दिए गए हैं। भारत ने अपनी 30 फ्लाइट को रद्द कर दिया। मतलब कहीं मत जाओ। यहीं सुरक्षित बैठे रहो। फ्लाइट का चरित्र कुछ ऐसा हो गया है कि या तो गिर जाती है नहीं तो कैंसिल हो जाती है।’
हमने कहा, ‘पुराने युद्ध सिर्फ जमीन पर होते थे लेकिन अब इसके लिए आसमान भी छोटा पड़ने लगा है। पश्चिम एशिया या मिडल ईस्ट के ऊपर से प्रतिदिन लगभग 1400 फ्लाइट आना-जाना करती हैं। इन्हें हवाई मार्ग बदलना पड़ा। रूस के लिए पश्चिमी देशों की उड़ानें बंद हैं। अफगानिस्तान का अधिकांश एयरस्पेस खतरनाक है पता नहीं कब तालिबान निशाना लगा दें। पाकिस्तान का हवाई मार्ग अप्रैल से बंद है। इसलिए विमानों को लंबा चक्कर मारकर जाना पड़ता है। दिल्ली से नीदरलैंड की राजधानी एमस्टर्डम जाने के लिए 913 किलोमीटर की ज्यादा दूरी पार करनी पड़ रही है। दिल्ली से ताशकंद जाने में अब दोगुना समय लगता है। एयर फेयर बढ़ गया है। इस लड़ाई की कोई दवाई नहीं है।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, दिलीपकुमार और निम्मी की पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म ‘उड़नखटोला’ में एक विमान धीमे-धीमे आसमान में उड़ता है क्योंकि तब जेट विमानों का युग नहीं था। उसे देखकर हीरोइन अपनी सहेलियों के साथ गाती है- मेरा सलाम ले जा, दिल का पयाम ले जा, उल्फत का जाम ले जा उड़न खटोले वाले राही! वह विमान क्रैश हो जाता है जिसमें से घायल हीरो निकलता है जो कि डाक्टर है।’ हमने कहा, ‘इतनी पुरानी फिल्म कौन याद रखता है! आप तो अनिल कपूर और श्रीदेवी की फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ को याद कीजिए जिसमें कविता कृष्णमूर्ति ने श्रीदेवी के लिए गाया था- बिजली गिराने मैं चली आई कहते हैं मुझको हवा-हवाई!’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा