काली पूजा
धार्मिक मत है कि मां काली की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इस शुभ अवसर पर मां काली की विशेष पूजा की जाती है। आइए, काली पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व एवं योग जानते हैं-
जानिए क्या रहेगा काली पूजा शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 1 नवंबर को संध्याकाल 6 बजकर 16 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त होगी। मां काली की पूजा निशिता काल में होती है। इसके लिए 31 अक्टूबर को काली पूजा मनाई जाएगी।
काली पूजा शुभ योग
कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन प्रीति योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 51 मिनट से हो रहा है। इसके साथ ही शिववास का भी संयोग बन रहा है। शिववास योग का संयोग दोपहर 03 बजकर 53 मिनट से हो रहा है। इस योग में शिव-शक्ति और मां काली की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
पंचांग :
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 36 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 49 मिनट से 05 बजकर 41 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
ऐसे करें मां काली की पूजा
काली चौदस के दिन मां काली की पूजा करने से पहले अभ्यंग स्नान करना बहुत जरूरी होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन मां काली की पूजा करने से पहले स्नान कर इत्र लगाकर पूजा में बैठें। उसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा लें।
उसके उपर मां काली की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर दीपक जलाएं। उसके बाद फल, पुष्प, कुमकुम, हल्दी, कपूर, नारियल और नैवेद्य मां काली को अर्पित करें। पूजा का समापन काली चालीसा पाठ और मंत्र जाप से करें।