Beed Ganpati Mandir: राज्य में वैसे तो गणेशजी के कई अनोखे गणेश जी के मंदिर है लेकिन बीड के गणपति की परंपरा सबसे अनोखी है। यहां पर भक्त पूजा के बाद प्रसाद के लिए छाते को उल्टा करके स्वीकार करते है।
बीड गणपति जी की अनोखी परंपरा (सौ. डिजाइन फोटो)
Beed Ganpati Mandir: गणेश उत्सव का दौर चल रहा है यह भगवान श्रीगणेशजी की भक्ति के खास उत्सव में से एक है। महाराष्ट्र में इस उत्सव का अलग ही महत्व होता है। राज्य में वैसे तो गणेशजी के कई अनोखे गणेश जी के मंदिर है लेकिन बीड के गणपति की परंपरा सबसे अनोखी है। यहां पर भक्त पूजा के बाद प्रसाद के लिए छाते को उल्टा करके स्वीकार करते है। चलिए जानते है विस्तृत रूप से इस परंपरा के बारे में।
दरअसल महाराष्ट्र के बीड जिले के नवगण राजुरी गांव में नौ गणपति (गणेश प्रतिमाएं) स्थापित हैं, जो इस स्थान को "नवगण राजुरी" नाम दिलाता है। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु चार मुख वाली अनोखी प्रतिमा वाले मंदिर में दर्शन के लिए आते है। बताया जाता है कि, इस मंदिर की स्थापना ब्रह्मदेव द्वारा की गई थी और इस मंदिर का संबंध रामायण काल से जुड़ा हुआ है। जब प्रभु श्री राम ने भी सीता की खोज के बाद इन गणपतियों के दर्शन किए थे।
नवगण गणेश मंदिर की यह परंपरा काफी अनोखी है जो लगभग 100 वर्ष से चली आ रही है। इस परंपरा में गणपति जी की पूजा करने के बाद प्रसाद को छत से फेंका जाता है. इस प्रसाद को लेने के लिए भक्त उल्टा छाता लेकर खड़ा होते हैं।
इन गणेश मंदिर में गौरी पूजन के दौरान बड़ी मात्रा में प्रसाद बनाया जाता है, जिसे मंदिर के पुजारी श्रद्धालुओं को फेंककर प्रसाद का वितरण करते हैं। प्रसाद को पाने के लिए भक्तों की लंबी भीड़ लगती है तो वहीं पर गणेश जी के इस मंदिर के आसपास बने घरों से प्रसाद भक्तों को दिया जाता है।
बताया जाता है कि, परंपरा में परिवर्तन हुआ है पहले प्रसाद को पगड़ी या धोती में स्वीकार किया जाता था। समय के साथ बदलती परंपरा में लोगों ने छतरी उल्टी कर प्रसाद स्वीकार करना शुरू किया। इस परंपरा को आज भी बरकरार रखा गया है औऱ बड़ी संख्या में भक्त आज भी बप्पा का प्रसाद पाने के लिए पहुंचते है।