(सौजन्य सोशल मीडिया)
हिंदू धर्म में सावन का महीना देवाधिदेव महादेव की पूजा के लिए समर्पित हैं। इस महीने की शुरुआत से ही कई तीज-त्योहारों और व्रतों की शुरुआत हो जाती हैं। इनमें से एक ऐसा ही व्रत है ‘मंगला गौरी व्रत’। इस व्रत का हिंदू धर्म में खास महत्व है। सावन का पवित्र माह अभी चल रहा है जिसमें पहला और दूसरा ‘मंगला गौरी व्रत’ हो चुका है। इन दो व्रतों की तरह तीसरा ‘मंगला गौरी व्रत भी खास महत्व रखता है।
इस साल सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत 6 अगस्त, 2024 को पड़ रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, मंगला गौरी का व्रत करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मंगला गौरी का व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा मनवांछित वर प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। महिलाएं पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-शांति के लिए भी मंगला गौरी व्रत करती हैं। आइए जान लेते हैं कि तीसरा मंगला गौरी व्रत कब रखा जाएगा और इसकी पूजा विधि…..
मंगला गौरी व्रत के दिन व्रती को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर पवित्र हो जाना चाहिये। फिर व्रत का संकल्प लेकर व्रत शुरू करें और विधि-विधान से माता व भगवान शिद की पूजा करें। पूजा के दौरान मां को लाल रंग के पुष्प और श्रृंगार का सामान जरूर अर्पित करें। इसके साथ ही शिव जी को धतूरा, बेलपत्र, चंदन, गंगाजल, दूध आदि चढ़ाएं तथा फल, मिठाई और खीर आदि चीजों का भोग लगाएं। तत्पश्चात घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का उच्चारण करें। इस दौरान मां पार्वती और भगवान शिव से सुखी वैवाहिक जीवन और पति की दीर्घायु की कामना करें।
मंगला गौरी का व्रत खासतौर पर विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए किया जाता है। इस व्रत के दिन माता पार्वती और शिवजी की विधिवत पूजा की जाती है। मंगला गौरी का व्रत कुंवारी कन्या भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। इस दिन का व्रत करने से अगर आपके विवाह में कोई समस्या आ रही हो तो वो भी समाप्त हो जाती है। इसलिये इस व्रत का हिंदू धर्म में खास महत्व है।
लेखिका- सीमा कुमारी