सावन सोमवार में करें शिवपुराण का पाठ (सौ.सोशल मीडिया)
देवों के देव महादेव के प्रिय माह सावन अभी चल रहा है। वैसे तो, हिन्दू धर्म में सभी महीनों का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन सावन का महीना बहुत ही शुभ एवं खास होता है। इस महीने का प्रत्येक दिन शिव शंकर जी को समर्पित है।
इसके अलावा, सावन के महीने में शिव पुराण को पढना और सुनना बहुत ही पुण्यदायी होता है।आप चाहो तो पूरे साल कभी भी शिव पुराण का पाठ या श्रवण कर सकते है। शिव पुराण में भगवान शिव के महात्म्य और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं का वर्णन है। शिव भक्तों के लिए शिव पुराण का विशेष महत्व है।
शिव पुराण में भगवान शिव के स्वरूप का वर्णन, उनके रहस्य, महिमा और उपासना के बारे में बताया गया है। श्री शौनक जी ने श्रीसूत जी से पुराणों के बारे में जानकारी देने का निवेदन किया तब उसी क्रम में श्री सूत जी ने शिव पुराण के महत्व को बताया। शिव पुराण में इसका उल्लेख किया गया है।
श्री सूत जी ने बताया कि शिव पुराण सभी सिद्धांत से संपन्न भक्ति को बढ़ाने वाला, शिव जी को संतुष्ट करने वाला और अमृत के समान एक दिव्य शास्त्र है। सबसे पहले शिवजी ने ही इसका प्रवचन स्वयं किया था।
गुरु वेद व्यास ने सनत्कुमार मुनि का उपदेश सुनकर इस पुराण की रचना की थी। कलयुग में यह पुराण लोगों के हितों को पूर्ण करना वाला शास्त्र है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जो व्यक्ति शिव भक्ति करता है, वह श्रेष्ठतम स्थिति प्राप्त करता है, उसे शिव पद प्राप्त हो जाता है। शिव पुराण को श्रद्धा पूर्वक सुनने से मुनष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है और अपने जीवन में बड़े भोगों का उपभोग करता है। जीवन के अंत में वह शिवलोक में स्थान प्राप्त करता है।
शिव पुराण में 24 हजार श्लोक है। इसमें 7 संहिताएं है। शिव पुराण परब्रह्म परमात्मा के समान गति प्रदान करने वाला है। सभी व्यक्ति को संयम और भक्ति भाव से शिव पुराण को सुनना चाहिए। जो व्यक्ति प्रतिदिन शिव पुराण का पाठ प्रेम भाव से करता है, वह निश्चित ही परम पुण्यात्मा है।
1- शिव पुराण का पाठ करने के लिए मंदिर, घर, वन या तीर्थ स्थान पर उत्तम स्थान का चुनाव करें । केले के खंभों से सुशोभित कथा मंडप तैयार करना चाहिए। उसे फूल, पत्ते आदि से सजाना चाहिए। उसके चारों कोनों पर शिव ध्वज लगाना चाहिए।
2- भगवान शिव शंकर के लिए दिव्य आसन का निर्माण करें। पाठ करने के लिए अपने मन में कोई बुरी भावना न रखें।
3- शिव पुराण का पाठ सूर्योदय से लेकर साढ़े तीन पहर तक कर सकते हैं। मध्याह्न के समय दो घड़ी के लिए पाठ बंद कर देनी चाहिए।
4- पाठ शुरू होने वाले दिन से एक दिन पूर्व व्रत रखना चाहिए। शिव पुराण का पाठ शुरू करने से पहले विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
5-उसके बाद भगवान शिव और शिव पुराण की पूजा करें। फिर पाठ पढ़ना या सुनना शुरू करें।जो लोग अनेक कर्मों में लिप्त होते हैं काम आदि समेत 6 विकारों से परेशान होते हैं, उनको शिव पुराण का पाठ करने से कोई पुण्य नहीं मिलता है। जो लोग अपनी सभी चिंताओं को भूलकर मन से पाठ करते हैं, उनको उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
6- सनातन धर्म में शिव पुराण का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इसके पाठ और सुनने मात्र से ही सभी चीजें सुलभ हो जाती हैं और इसका पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसके प्रभाव से व्यक्ति पाप से मुक्त हो जाता है। वह संसार के सभी सुखों का उपभोग करता है और अंत में शिवलोक में स्थान पाता है।