
धर्मेंद्र (सो. सोशल मीडिया)
Dharmendra Parliament Attendance: धर्म सिंह देओल उर्फ धर्मेंद्र के नाम से प्रख्यात, एक भारतीय दिग्गज अभिनेता, निर्माता और राजनीतिज्ञ अब हमारे बीच नहीं रहे। 89 साल के धर्मेंद्र लंबे समय से स्वास्थय समस्या से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर ने पूरे हिंदी सिनेमा में एक सन्नाटा सा पसर गया है।
वो लोकसभा क्षेत्र बीकानेर के सासंद भी रहें हैं। धर्मेंद्र ने हिंदी फिल्मों में अपने काम के लिए खूब ख्याति बटोरी हैं। बॉलीवुड के ‘ही-मैन’ के रूप में जाने जाने वाले धर्मेंद्र ने पांच दशक के करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया। 1997 में, उन्हें हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिला।
वह भारत की 15 वीं लोकसभा के सदस्य थे। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें राजस्थान में बीकानेर लोकसभा सीट से टिकट दिया। जहां से चुनकर वे संसद पहुंचे। भारत सरकार ने 2012 में उन्हें तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
धर्मेंद्र फिल्मफेयर पत्रिका के राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित नए प्रतिभा पुरस्कार के विजेता थे और पुरस्कार विजेता होने के नाते, फिल्म में काम करने के लिए पंजाब से मुंबई गए, लेकिन फिल्म कभी नहीं बनी। बाद में उन्होंने 1960 में अर्जुन हिंगोरानी की दिल भी तेरा हम भी तेरे के साथ अपनी फिल्मि सफर की शुरुआत की।
1961 में फिल्म बॉय फ्रेंड में उनकी सहायक भूमिका थी और 1960 और 1967 के बीच कई फिल्मों में उन्हें रोमांटिक रूप में रुचि लिया और उनका यह किरदार फिल्म प्रेमियों के दिल को छू गया।
धर्मेंद्र ने कई अभिनेत्रियों के साथ बहुत सी बेहतरीन फिल्में की लेकिन उनकी सबसे हिट जोड़ी हेमा मालिनी के साथ थी, जो आगे चलकर उनकी पत्नी भी बनीं।
धर्मेंद्र और हेमा की जोड़ी ने राजा जानी, सीता और गीता, शराफत, नया जमाना, पत्थर और पायल, तुम हसीन मैं जवान, जुगनू, दोस्त, चरस, मां, चाचा भतीजा, आजाद और शोले सहित कई फिल्मों में एक साथ काम किया। उनके सबसे उल्लेखनीय अभिनय प्रदर्शनों में हृषिकेश मुखर्जी के साथ सत्यकाम और शोले शामिल हैं।
हिंदी सिनेना के सुपरस्टार धर्मेंद्र ने फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी। धर्मेंद्र ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की। उन्होंने 2004 से 2009 तक राजस्थान में बीकानेर का प्रतिनिधित्व करते हुए संसद के सदस्य के रूप में काम किया।
यह भी पढ़े :- खूब चर्चा में रही धर्मेंद्र की प्रेम कहानियां: जानिए किन-किन पर आया था ही-मैन का दिल
2004 में अपने चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने एक आक्रामक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उन्हें लोकतंत्र के लिए आवश्यक बुनियादी शिष्टाचार सिखाने के लिए हमेशा के लिए तानाशाह चुना जाना चाहिए, जिसके लिए उनकी कड़ी आलोचना की गई थी।
जब सदन का सत्र चल रहा था, तब वे शायद ही कभी संसद में उपस्थित होते थे। यह विषय अक्सर ही मीडिया में चर्चा का कारण बना रहा। इस पर धर्मेंद्र ने एक दिन अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मैं राजनीति में सेवाभाव के लिए आया हूं न कि मैं राजनीति को करियर की तरह देखता हूं। धर्मेंद्र अपना अधिकांश समय फिल्मों की शूटिंग या अपने फार्म हाउस में खेत का काम करने में बिताना पसंद करते थे।






