कांवड़ यात्रा में श्रृद्धालु गंगा नदी से पवित्र जल को लाने के मीलों चलते हैं और इसी पवित्र जल से विभिन्न शिव मंदिरों में जाकर जल चढ़ाते है जिससे भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। कांवड़ यात्रा का महत्व भारत के किन राज्यों में ज्यादा होता है औऱ क्या नियम होता है चलिए जानते हैं।
कांवड़ यात्रा 2024(फाइल फोटो)
सावन के महीने में भगवान शिव की आस्था के प्रति मनाए जाने वाले त्योहार कांवड़ यात्रा खास महत्व होता है जो शिवभक्तों का भगवान शिव के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति को प्रदर्शित करती है। इस दौरान यात्रा में श्रृद्धालु गंगा नदी से पवित्र जल को लाने के मीलों चलते हैं और इसी पवित्र जल से विभिन्न शिव मंदिरों में जाकर जल चढ़ाते है जिससे भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। कांवड़ यात्रा का महत्व भारत के किन राज्यों में ज्यादा होता है औऱ क्या नियम होता है चलिए जानते हैं।
उत्तराखंड- कांवड़ यात्रा का महत्व ठंडे प्रदेशों में से एक उत्तराखंड से होता है जहां पर कांवड़िए हरिद्वार, गोमुख, गंगोत्री से गंगा जल भर कर इसे अपने अपने इलाके के शिवालयों में स्थित शिवलिंगों पर अर्पित करते हैं। इस दौरान नियमों का पालन करना जरूरी होता है।
कांवड़ यात्रा (फाइल फोटो)
बिहार- कांवड़ यात्रा का महत्व बिहार राज्य में देखने के लिए मिलता है जहां पर सुल्तानगंज से देवघर और पहलेजा घाट से मुजफ्फरपुर तक की यात्रा कांवड़िए करते है। इसमें बिहार के शिव भक्त सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर क़रीब 108 किलोमीटर पैदल यात्रा कर झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ (बाबाधाम) में जल अर्पित करते है।सोनपुर के पहलेजा घाट से मुज़फ़्फ़रपुर के बाबा ग़रीबनाथ, दूधनाथ, मुक्तिनाथ, खगेश्वर मंदिर, भैरव स्थान मंदिरों पर भक्त गंगा जल चढ़ाते हैं।
कांवड़ यात्रा के दौरान डाकबम का चलन काफी देखा जाता है इसमें नियम यह है कि, जो कांवड़िए गंगाजल भरने के बाद अगले 24 घंटे के अंदर उसे भोलेनाथ पर चढ़ाने के संकल्प लिए दौड़ते हुए इन शिवालयों में पहुंच कर शिवलिंगों पर यह जल अर्पित करते हैं उन्हें 'डाकबम' कहते हैं।