यवतमाल जिला सहकारी बैंक (सोर्स: सोशल मीडिया)
Yavatmal DCC Bank News: यवतमाल जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (YDCC बैंक) में कथित वित्तीय अनियमितताओं और अवैध भर्ती प्रक्रिया का आरोप लगाते हुए विधायक अनिल मंगुलकर और पूर्व नगराध्यक्ष संतोष बोरेले ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में रिट याचिका दायर की।
इस याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव को 13 अगस्त 2025 को याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए निवेदन पर 10 दिनों के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया। साथ ही हाई कोर्ट ने इस आदेश की जानकारी तत्काल प्रभाव से प्रधान सचिव को देने का आदेश सरकारी वकील को दिया। याचिकाकर्ता की अधि। प्रदीप वाठोरे ने पैरवी की।
सुनवाई के दौरान अधि। वाठोरे ने कहा कि भर्ती के लिए जारी किया गया विज्ञापन कानूनी मापदंडों के अनुसार नहीं था। इसे देखते हुए याचिकाकर्ता ने 13 अगस्त 2025 को प्रधान सचिव, सहकारिता विभाग, मुंबई के समक्ष एक विस्तृत निवेदन प्रस्तुत किया था किंतु इस पर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया जिससे मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने यह स्पष्ट किया कि याचिका में उठाए गए सभी मुद्दे खुले रखे गए हैं। यदि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई विपरीत आदेश पारित होता है तो उन्हें उचित कार्यवाही दायर करने की स्वतंत्रता होगी।
याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता वाठोरे ने कहा कि YDCC बैंक यवतमाल के सहकारी नेटवर्क की वित्तीय रीढ़ है जो हजारों किसानों और ग्रामीण जमाकर्ताओं को सेवा प्रदान करता है।
बैंक प्रबंधन ने अवैध भर्ती और वित्तीय कुप्रबंधन किया है, भले ही बैंक आरबीआई, नाबार्ड और सहकारिता विभाग की निगरानी में है। जून 2025 में जिला रजिस्ट्रार की रिपोर्ट में 516.65 करोड़ के गबन का खुलासा हुआ था।
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मार्च 2025 के अनऑडिटेड खातों के अनुसार, बैंक का एनपीए 53.52% था, जबकि इसकी सीमा 15% है। यह बैंक की विस्तार के लिए वित्तीय अक्षमता को साबित करता है। विभागीय जॉइंट रजिस्ट्रार और जिला रजिस्ट्रार ने अगस्त से अक्टूबर 2024 के बीच बार-बार चेतावनी दी थी कि बैंक की वित्तीय स्थिति कमजोर है और आरबीआई ने 1.5 करोड़ का जुर्माना लगाया है किंतु इन चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया।
याचिका में बताया गया कि बैंक की वित्तीय स्थिति इतनी खराब थी कि वह अपने मौजूदा कर्मचारियों को भी भुगतान नहीं कर पा रहा था। जुलाई 2025 में कर्मचारी एसोसिएशन ने शिकायत की थी कि जुलाई 2024 और जनवरी 2025 से डीए (महंगाई भत्ता) बकाया है, फिर भी भर्ती प्रक्रिया जारी रखी गई।
जुलाई 2024 में बैंक के बोर्ड ने 348 पदों को भरने का प्रस्ताव पारित किया था जिससे प्रबंधन लागत 69 करोड़ से बढ़कर 72 करोड़ हो जाती जो कि एक अस्थिर बोझ है।