'बालासाहेब के पार्थिव' विवाद से महायुति डरी! BJP नाराज तो शिंदे गुट ने भी झटका हाथ
Shiv Sena: शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के निधन को लेकर उद्धव ठाकरे को घेरने का उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेता रामदास कदम का दांव उल्टा पड़ गया है। डीसीएम शिंदे की शिवसेना के दशहरा सम्मेलन में बालासाहेब ठाकरे के निधन को लेकर दिए गए कदम के बयान से बीजेपी में नाराजगी व्यक्त की जा रही है तो वहीं इस मामले में कदम अकेले पड़ गए हैं। क्योंकि बालासाहेब के पार्थिव शरीर की दुर्दशा के समय मूकदर्शक बने रहने की वजह से आरोप लगाने वाले बालासाहेब के कथित निष्ठावान भी सवालों में घिर गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले दिए गए 400 पार के नारे की तरह बालासाहेब के निधन का मुद्दा भी नुकसानदेह साबित हो सकता है। यह सोच कर शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं ने कदम के बयान से कन्नी काट ली है।
शिवसेना में ऐतिहासिक बगावत का नेतृत्व करनेवाले उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी के सभी नेता खुद को बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के संवाहक बताते हैं। लेकिन डीसीएम शिंदे की शिवसेना के दशहरा सम्मेलन में दिए गए बयान के बाद कदम के साथ साथ खुद एकनाथ शिंदे, मंत्री गुलाबराव पाटिल, संजय राठौड़, दादा भुसे, विजय शिवतारे, दीपक केसरकर, अर्जुन खोतकर आदि तमाम नेताओं की निष्ठा और नैतिकता सवालों के घेरे में आ गई है।
लोग पूछ रहे हैं कि यदि उद्धव ठाकरे ने बालासाहेब के शव के साथ प्रताड़ना की थी तो आप लोग चुप क्यों रहें? इतना ही नहीं 2014 विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में बीजेपी-शिवसेना की वापसी हुई तो आप लोग उद्धव की कृपा से मंत्री भी बने। बाद में 2019 में महाविकास अघाड़ी की सरकार में भी आप उद्धव के नेतृत्व में मंत्री बने। अब लगभग 13 साल बाद आप लोग उद्धव को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास क्यों कर रहे हैं? मुंबई महानगर पालिका तथा अन्य चुनावों से पहले उद्धव के खिलाफ लगाए गए कदम के आरोप महायुति को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसी आशंका महायुति में अंदरखाने व्यक्त की जा रही है।
दशहरा सम्मेलन में उद्धव पर बालासाहेब के पार्थिव को लेकर लगाए गए आरोपों के बाद शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) पार्टी के विधायक अनिल परब, संजय राऊत सहित अन्य नेताओं ने कदम की निष्ठा पर सवाल उठाते पूरे शिंदे गुट को घेरने का प्रयास किया था। लेकिन तब कदम ने आरोपों पर दृढ़ रहने की बात कही थी। लेकिन अब कदम के तेवर नरम पड़ गए हैं।
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क्योंकि लोगों में ऐसी चर्चा है कि उद्धव ने दीपों के महापर्व दीपावली की वजह से बालासाहेब के निधन की खबर को दो दिन दबाकर रखा था ताकि लोगों का त्योहार खराब न हो। उस समय उद्धव के कई साथी नेताओं ने इस पर नाराजगी व्यक्त की थी। लोगों में तेजी से फैल रही ऐसी चर्चा के बाद बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) में चिंता बढ़ गई है तो वहीं रामदास कदम के तेवर ढीले पड़ गए हैं।