लम्पी का प्रकोप (सौजन्य-नवभारत)
Yavatmal News: यवतमाल जिले के कई गांवों में लम्पी रोग ने दस्तक दे दी है। किसानों के मवेशी बडी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं। जिला पशु संवर्धन विभाग के पास केवल 27 मवेशी संक्रमित पाए जाने की जानकारी है। जबकि दुर्गम क्षेत्र इस विभाग के पहुंच से दूर होने के चलते यह संख्या इससे कई गुना जादा होने की संभावना किसानों ने व्यक्त की है। इससे भी गंभीर बात यह है कि जिला पशु संवर्धन विभाग को इस समस्या की सटीक जानकारी तक नहीं है।
हालांकि विभाग के सहायक उपायुक्त ने निर्देश दिए हैं कि चरवाहे सावधानी बरतें। चरवाहों और गौ-पालकों में जागरूकता लाने के प्रयास किए जा रहे है। लेकिन संक्रमित मवेशियों को क्या सही उपचार मिल रहा है? यह सवाल अब भी बना हुआ है। जिला पशु संवर्धन विभाग में पशु चिकित्सकों के पद नहीं भरे जाने से किसानों को निजी डॉक्टरों का सहारा लेना पड रहा है।
बीते दो सप्ताह से अधिक समय से यह बीमारी का संक्रमण फैलता जा रहा है। एक बार मवेशी लम्पी के चपेट में आने पर उसे ठीक होने में एक सप्ताह से 10 दिन का समय लग जाता है और सही उपचार नहीं मिलने पर मौत होने की आशंका बनी रहती है। कोरोना संक्रमण के बाद के अगले कुछ वर्षो में लगातार जिले में मवेशियों में लम्पी का प्रकोप देखा जा रहा है। शुरूआती कुछ वर्षो में इस विभाग द्वारा टीकाकरण अभियान चलाया लेकिन इस वर्ष मवेशियों के टीकाकरण का एक भी शिविर आयोजन नहीं किए जाने की शिकायत पशुपालकों ने की है।
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यवतमाल तालुका सहित शहर में 12 पशु लम्पी रोग से ग्रस्त पाए गए। इन पशुओं का उपचार शुरू कर दिया गया है। इनमें से आठ पशु ठीक हो चुके हैं। चार पशुओं का उपचार चल रहा है। इसके अलावा, नेर तालुका के शिरसगांव पंढरी में 15 पशुओं में गांठ रोग पाया गया। इन सभी स्थानों पर पशुओं का निरीक्षण किया जा रहा है ऐसी जानकारी सहायक उपायुक्त पशुसंवर्धन विभाग द्वारा दी गयी।