ई-पाहनी ऐप किसानों की मुश्किलें (सौजन्य-सोशल मीडिया)
E-Peek Pahani App: यवतमाल के उमरखेड़ में एक ओर महाराष्ट्र सरकार मोबाइल ऐप के ज़रिए सभी क्षेत्रों में प्रशासन को आधुनिक बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन, तकनीकी दिक्कतें आम आदमी के सामने आ रही हैं। सबसे ज़्यादा किसान प्रभावित हो रहे हैं। ई-पीक पहानी ऐप किसानों की परेशानी बढ़ा रहा है।
उमरखेड़ तालुका समेत पूरे ज़िले में रोष का माहौल है क्योंकि क्षेत्र के पटवारी इस काम में किसानों का सहयोग नहीं कर रहे हैं। राज्य सरकार ने कुछ साल पहले सातबारा पर फसलों का डिजिटल पंजीकरण करने के लिए ‘ई-पीक पाहनी’ ऐप विकसित किया था। पहले यह पंजीकरण पटवारी के ज़रिए होता था। हालांकि, काम में लापरवाही के कारण अक्सर फसल की बुआई दर्ज नहीं हो पाती थी।
इससे किसानों को काफ़ी नुकसान उठाना पड़ता था। डिजिटल क्रांति के उद्देश्य से लाए गए इस ऐप को सरकारी कर्मचारियों द्वारा नहीं चलाया गया, बल्कि सीधे किसानों को सौंप दिया गया। पिछले साल कुछ किसानों ने पंजीकरण कराया था। लेकिन पटवारी द्वारा सत्यापन नहीं कराया, इसलिए वे सब्सिडी से वंचित रह गए। सरकार द्वारा केवल उन्हीं को सब्सिडी देने के फैसले से, जिन्होंने अपनी फसलों का पंजीकरण कराया है और पटवारी ने उसे सत्यापन किया है।
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इस साल, किसान 1 अगस्त से पंजीकरण कराने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, ‘DCS 4.0’ ऐप में बार-बार तकनीकी समस्याएं आने से किसानों का समय, श्रम और मोबाइल डेटा बर्बाद हो रहा है। चूंकि कई किसानों के पास एंड्रॉइड मोबाइल नहीं हैं, इसलिए उन्हें गांव के युवाओं को पंजीकरण के लिए पैसे देने पड़ते हैं।
हालांकि किसान कई कठिनाइयों को पार करके ई-फसलों का पंजीकरण करने में कामयाब रहे हैं, फिर भी पटवारी द्वारा उन्हें बाधाएं उत्पन्न की जा रही हैं। पटवारी द्वारा फसल रिकॉर्ड सत्यापित करने का प्रयास किया जा रहा है। सत्यापन न होने के कारण किसान सब्सिडी से वंचित हो रहे हैं। इसलिए, इस ऐप के कारण किसानों में रोष व्यक्त किया जा रहा है क्योंकि यह ऐप किसानों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।