
एफडीए (AI Generated Image)
Yavatmal News: झरी जामणी तहसील में दूध की किल्लत चरम पर है। गांवों में दुधारू पशुओं की संख्या घटने से हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कई इलाकों में शाम के बाद चाय तक मिलना मुश्किल हो जाता है। लेकिन आश्चर्य की बात यह कि बाज़ार में मिठाइयों की बिक्री पहले जैसी ही जारी है। ऐसे में नागरिकों का एक ही सवाल “जब दूध नहीं, खोवा नहीं… तो मिठाई आ कहां से रही है?”
तहसील में एक भी अधिकृत दूध संग्रह केंद्र नहीं है। जो थोड़ा-बहुत दूध उपलब्ध होता है, वह चाय दुकानों और घरगृहस्थी में ही खत्म हो जाता है। ऐसे में खवा बनने का सवाल ही नहीं उठता। परंतु बाजार में पेड़ा, बरफी, खोवा मिठाइयों की भरमार यहीं सबसे बड़ा संदेह है।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि कोई भी मिठाई दुकान अब अपने यहां दूध फांककर ताज़ा खोवा तैयार नहीं करती। पहले दुकानों में खवा बनाने की बड़ी कढ़ाइयां दिखती थीं, पर अब वह दृश्य पूरी तरह गायब हो चुका है।
जानकारी के अनुसार, चंद्रपुर और वणी की ओर से आने वाले शीत-वाहन (कूल व्हीकल) में पाउडर मिल्क से तैयार मिलावटी खवा और मिठाई बड़े पैमाने पर झरी जामणी क्षेत्र में सप्लाई की जाती है। यही सामग्री स्थानीय दुकानों में ‘ताज़ा खवा मिठाई’ के नाम पर बेची जाती है। अंतिम सवाल फिर वही दूध नहीं… खवा नहीं… तो मिठाई कहां से बन रही है? और क्या जनता के स्वास्थ्य से ऐसे ही खिलवाड़ होता रहेगा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि खाद्य और औषध प्रशासन की निष्क्रियता ने मिलावट करने वालों के हौसले बढ गया हैं। नागरिकों ने मांग की है कि झरी, पाटण और मुकुटबन क्षेत्र के सभी स्वीट मार्ट, होटल और डेयरी उत्पाद विक्रेताओं पर त्वरित छापे डाले जाएं।
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यवतमाल जिले में FDA विभाग में मैं अकेला अधिकारी कार्यरत हूं। दूसरे अधिकारी की तबीयत खराब होने के कारण वे चिकित्सीय अवकाश पर हैं। मुझे थोड़ा समय दें, आपके झरी जामणी तहसील में आकर मिठाई और खोवे की जांच कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
– आनंद महाजन, FDA अधिकारी, यवतमाल।






