
किसान आत्महत्या (डिजाइन फोटो)
Farmer Debt Crisis Vidarbha: दिवाली का त्योहार आमतौर पर खुशियां और उमंग लेकर आता है, लेकिन इस बार की दिवाली वर्धा जिले के किसानों के लिए अंधकारमय रही। अत्यधिक बारिश के कारण फसलें नष्ट हो गई, वहीं बीमारी और इल्ली के प्रकोप से उपज में भारी कमी आई। जो किसान किसी तरह बची-कुची फसल लेकर बाजार पहुंचे, उन्हें उचित मूल्य नहीं मिला।
हर तरफ से घिरे संकट ने किसानों को निराशा में धकेल दिया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि दिवाली के दिनों में किसानों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं सामने आई हैं। जानकारी के अनुसार, 10 से 25 अक्टूबर के बीच जिले में करीब 14 किसानों ने आत्महत्या की है, जिनमें एक महिला किसान भी शामिल है। बताया जाता है कि महिला किसान का पुत्र बैंक के कर्ज से परेशान था, जिससे पूरा परिवार चिंता में डूबा हुआ था।
इसी मानसिक तनाव के चलते महिला किसान ने कुएं में कूदकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। पिछले वर्ष अतिवृष्टि के कारण खरीफ मौसम में किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। इस बार किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद थी। जिले में लगभग 4.32 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ की बुआई की गई थी, जिसमें 2.25 लाख हेक्टेयर में कपास और डेढ़ लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल ली गई थी।
किसानों ने कड़ी मेहनत से फसल तैयार की, लेकिन अनियमित वर्षा ने फिर से उन्हें परेशान कर दिया। किसानों ने महंगी दवाइयां खरीदकर फसलों को बीमारी और इल्ली से बचाने की कोशिश की, परंतु समय-समय पर हुई अतिवृष्टि ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। अत्यधिक बारिश के कारण कई जगह फसलें बह गईं, जिससे किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो गया। दिवाली के पहले फसल न मिलने से किसान बाजार में अनाज बेच नहीं पाए।
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आर्थिक संकट, परिवार का भरण-पोषण, बच्चों की पढ़ाई, बीमारी और बेटियों के विवाह जैसी जिम्मेदारियों ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी।
सरकार द्वारा राहत पैकेज की घोषणा की गई थी, लेकिन दिवाली बीत जाने के बाद भी यह सहायता किसानों तक नहीं पहुंच पाई।
ऐसी विकट स्थिति में बैंक का कर्ज और उधारी कैसे चुकाई जाए, यह सवाल किसानों को भीतर तक तोड़ रहा है। इसी निराशा और तनाव के चलते दिवाली जैसे खुशियों के पर्व में कई किसानों ने आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाया।
जिले में किसानों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। विशेषज्ञों और किसान संगठनों का कहना है कि यदि तत्काल प्रभाव से ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और गहराता जाएगा, सरकार और प्रशासन को चाहिए कि प्रभावित किसानों तक शीघ्र आर्थिक सहायता पहुंचाई जाए और कर्जमाफी जैसे ठोस उपाय किए जाए, ताकि किसान फिर से आत्मनिर्भर बन सके और ऐसे दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।






