प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Wardha Arvi MNREGA Funds Fraud: वर्धा जिले के आर्वी पंचायत समिति में मनरेगा के अनुदान की हेराफेरी के मामले में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। चालू वित्त वर्ष के केवल चार महीनों में एपीओ प्रणाली कसर द्वारा आर्वी स्थित स्टेट बैंक में अंबिका नामक संस्था के बैंक खाते में कुल 4.11 लाख रुपए का सरकारी अनुदान ट्रांसफर किया गया।
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इसी पद्धति से कई ग्राम पंचायतों के अनुदान भी इसी खाते में स्थानांतरित किए गए हैं, जिससे हेराफेरी की कुल राशि और भी अधिक हो सकती है।
ऑनलाइन प्रणाली के संचालन में निपुण और बर्खास्त सहायक कार्यक्रम अधिकारी प्रणाली कसर ने अंबिका टीबीएम सप्लायर के नाम से आर्वी की स्टेट बैंक शाखा में खाता खोला था। इसी खाते में वित्त वर्ष 2025-26 के अप्रैल से जुलाई तक यानी चार महीनों में कुल 4 लाख 11 हजार 468 रुपये ट्रांसफर किए गए।
चौंकाने वाली बात यह है कि यह सारा लेन-देन गट विकास अधिकारी सुनीता मरसकोल्हे के कार्यकाल के दौरान हुआ। वहीं, उन्हीं सुनीता मरसकोल्हे ने वर्ष 2012-13 से संबंधित प्रकरण की प्राथमिक जांच कर 25 लाख 28 हजार 319 रुपये के सरकारी धन की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पराग सोमन को रिपोर्ट सौंपी थी।
वास्तव में पंचायत समिति स्तर पर किसी भी वित्तीय लेन-देन को अंतिम मंजूरी बीडीओ की डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से दी जाती है। ऐसे में जिस बीडीओ के कार्यकाल में यह गड़बड़ी हुई, उसी बीडीओ को जांच की जिम्मेदारी सौंपे जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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वर्तमान में यह मामला जिला स्तरीय समिति द्वारा गंभीरता से जांचा जा रहा है और यह आशंका जताई जा रही है कि सुनीता मरसकोल्हे खुद भी इस जांच के घेरे में आ सकती हैं।
आर्वी पंचायत समिति के अंतर्गत 39 ग्राम पंचायतें आती हैं और पूरे आर्वी तालुका में 39,981 जॉब कार्डधारी हैं, जिनमें से 23,351 कार्ड अभी सक्रिय हैं। केवल अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच की अवधि में कुछ ग्राम पंचायतों में काम पूर्ण दिखाकर कुल 13 बार ट्रांजेक्शन के माध्यम से सरकारी अनुदान की राशि अंबिका टीबीएम सप्लायर के खाते में ट्रांसफर की गई।
यह पूरा मामला मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना के तहत किए गए गंभीर भ्रष्टाचार को उजागर करता है। अब यह देखना बाकी है कि जांच के बाद दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।