वर्धा. इस बार मौसम में हो रहे बदलाव का असर फसलों पर देखने मिला़ बदरिला मौसम व कोहरे के कारण तुअर की फसल सर्वाधिक प्रभावित हुई है. जिले में 30 से 40 प्रतिशत तक तुअर की उपज में कमी देखने मिल रही है. खरीफ मौसम में बड़े पैमाने पर किसानों ने तुअर की बुआई की़ अधिकांश किसान इस समय तुअर की फसल लेते हैं तो कुछ किसानों में मुख्य फसल के रुप में तुअर की बुआई की़ मौसम के शुरूआत से ही तुअर फसल को नुकसान हो रहा है.
जब फसल फुलों पर थी और फल्लियां भरने लगी थी तभी दिसंबर में अचानक बदरिला मौसम छाया़ लगातार बदरिला मौसम छाया रहने से तुअर के फुल गल गये़ साथ ही बड़े पैमाने पर फल्लियां भी गल गई है. पोषक वातावरण पैदा होने से फसल पर इल्ली का प्रकोप बढ़ गया़ फसल परिपक्व होने के समय पर इल्ली का प्रकोप बढ़ने से फसल प्रभावित हो गई.
कोहरा बढ़ने से इसका बुरा असर देखने मिला़ इसका असर तुअर की उपज पर हुआ है़ अधिकांश किसानों के खेतों में समय के पूर्व ही तुअर परिपक्व होने उम्मीद के अनुसार उपज नहीं हुई़ पुरी तरह से फल्लियां नहीं भरने की जानकारी है़ इसलिये उपज में कमी आने की बात किसान कह रहे है.
वर्तमान में खेतों में तुअर फसल निकालने का काम गति से हो रहा है. किसी को 30 तो किसी को 40 प्रतिशत तक तुअर की फसल में कमी की बात किसान बता रहे है़ं उम्मीद के अनुसार तुअर की उपज न होने से किसानों का आर्थिक नियोजन गड़बड़ा गया है. रबी का आर्थिक नियोजन कैसे करें, ऐसा प्रश्न किसान कर रहे है़ं तुअर के साथ-साथ जिले में कपास की उपज में भी भारी कमी बताई जा रही है. लागत खर्च भी नहीं निकल पा रहा है़ बाजार समितियों में कपास को कम मूल्य मिल रहा है़ परिणामवश किसानों की चिंता बढ़ गई है.