(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Wardha NewsIn Hindi : वर्धा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी लगातार लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर रही है। स्थिति यह है कि वर्धा जिले के 49 गांव ऐसे हैं जहां आज तक श्मशान भूमि उपलब्ध नहीं है। इनमें से 32 गांवों में तो श्मशान भूमि के लिए जमीन तक चिन्हित नहीं हो सकी है। ऐसे में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए जगह तलाशने की मजबूरी झेलनी पड़ती है।
श्मशान भूमि न होने के कारण इन गांवों के लोगों को अंतिम संस्कार जैसे अत्यावश्यक कार्य भी खुले मैदान, नालों, चरागाहों या पड़ी हुई जमीनों पर करने पड़ते हैं। नागरिकों का कहना है कि व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहता है। जीवन भर मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलतीं और मरने के बाद भी अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं मिलती।
ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधि विकास के बड़े दावे करते हैं और करोड़ों रुपये की योजनाएं लाते हैं, लेकिन श्मशान भूमि जैसी मूलभूत आवश्यकता पूरी नहीं हो रही। इस वजह से नागरिकों में प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। समस्या लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए।
वर्धा जिले में कुल 521 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से 49 गांवों में श्मशान भूमि नहीं है। खास बात यह है कि इनमें 32 गांवों के पास श्मशान भूमि के लिए जगह तक उपलब्ध नहीं है।
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प्रभावित गांवों में नांदोरा (वर्धा), चिटकी, मलकापुर, नंदपूर, जुनगड, गायमुख, बोधोली, हिवरा, गणेशपूर, पेहलानपूर, कामठी, सालई पेवठ गोदा, बांबडा, बोरखेडी, दलपतपूर, भांगडापूर, काकडदरा, कृष्णापुर, खैरी, चोंडी, हैबतपूर, पांदुर्णा, अंतोरा, मोई, मुबारकपूर, दुगवाडा, ठाणेगांव हेटी, माणिकवाडा, जामगाव, ठेकाकोल्हा, कोल्हा काळी, ढगा, भालेवाडी, नागलवाडी, दाभा, गंगापुर, बोरगांव (दा.), आजती, रिमडोह, सोनगांव (रा.), पारडी, गोविंदपूर, बोथली, सावंगी झाडे, शेगाव (गो.) और उमरी ग्राम पंचायत अंतर्गत जिरा गांव शामिल हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध कराकर श्मशान भूमि का निर्माण करना चाहिए। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से आवश्यक है बल्कि सामाजिक सम्मान और सुविधा से भी जुड़ा हुआ मुद्दा है।