(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Petrol-Diesel In GST: पेट्रोल और डीजल को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के दायरे में लाने पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल इन्हें जीएसटी के अंतर्गत लाना संभव नहीं है। समाचार एजेंसी आईएएनएस के सवाल- क्या पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए के जवाब में उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर फिलहाल केंद्रीय उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धित कर (वैट) लगता है और इन दोनों पेट्रोलियम पदार्थों से राज्यों को वैट के रूप में और केंद्र सरकार को केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त होता है।
उन्होंने आगे कहा कि राजस्व संबंधी प्रभावों को देखते हुए, इन वस्तुओं को फिलहाल जीएसटी के दायरे में लाना संभव नहीं है। सीबीआईसी चेयरमैन ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते कहा था कि केंद्र सरकार ने जानबूझकर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी परिषद के प्रस्ताव में शामिल नहीं किया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू में कहा था कि कि कानूनी तौर पर हम तैयार हैं, लेकिन यह फैसला राज्यों को लेना होगा। वित्त मंत्री ने अपने बयान में कहा था कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी लागू होने के समय ही शामिल किया जाना तय था, “मुझे याद है कि मेरे दिवंगत पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बारे में बात की थी।
वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि राज्य सरकारों की सहमति के बाद, उन्हें परिषद में टैक्स की दर तय करनी होगी। एक बार यह फैसला हो जाने के बाद, इसे कानून में शामिल कर लिया जाएगा। जुलाई 2017 में लागू हुए जीएसटी में पेट्रोल, डीजल और मादक पेय पदार्थों जैसे उत्पादों को तब से इसके दायरे से बाहर रखा गया था। ये वस्तुएं केंद्र और राज्य सरकारों, दोनों के लिए उत्पाद शुल्क और वैट के माध्यम से राजस्व का प्रमुख स्रोत हैं। कई राज्यों के लिए, ये उनके कर राजस्व में 25-30 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं।
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता और ग्रुप ऑफ मिनिस्टर की मौजूदगी में बुधवार, 3 सितंबर को 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक हुई। इस दौरान टैक्स इनडायरेक्ट टैक्स से संबंधित कई अहम फैसले लिए गए। हालांकि, इस बैठक का सबसे चर्चित मुद्दा है जीएसटी दर में बदलाव। अब जीएसटी में मौजूदा 4 स्लैब 5, 12,18 और 28 प्रतिशत को हटाकर सिर्फ 2 स्लैब 5 और 18 प्रतिशत कर दिया गया है। करीब 8 साल बाद जीएसटी में हुए इन बड़े बदलावों से आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी।