(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Wardha News In Hindi: शिक्षा क्षेत्र में हड़कंप मचाने वाले फर्जी शालार्थ आईडी घोटाले की जांच एसआईटी द्वारा की जा रही है। इस घोटाले में फंसे कुल 632 शिक्षक, मुख्याध्यापक और संस्थाचालकों की जांच मंगलवार, 16 सितंबर से शुरू की गई है। अब वर्धा जिले में कहीं फर्जी शालार्थ आईडी बने हैं क्या, इसकी पुष्टि के लिए 318 स्कूलों के मुख्याध्यापकों द्वारा लगभग 3058 शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के मूल दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
इन सभी दस्तावेजों को डिजिटाइज करने के लिए वेतन विभाग को प्रस्ताव भेजे गए हैं। डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया में हर स्कूल के मुख्याध्यापक ने अपने स्कूल के कर्मचारियों के मूल दस्तावेजों के साथ एक विधिवत प्रस्ताव तैयार कर माध्यमिक शिक्षा विभाग के वेतन शाखा को भेजा है।
20 सितंबर इस प्रस्ताव को जमा करने की अंतिम तारीख तय की गई है। वर्धा जिले की ये 318 स्कूलें माध्यमिक शिक्षा अधिकारी के कार्यक्षेत्र में आती हैं। यहां के 3058 शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की पूरी जानकारी डिजिटाइज की जा रही है ताकि यह पता चल सके कि किनके आईडी फर्जी हैं।
वर्धा की वेतन शाखा को ऑनलाइन माध्यम से 318 स्कूलों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। संबंधित अधिकारियों ने दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है। कुछ प्रस्ताव आगे की प्रक्रिया के लिए शिक्षा अधिकारी स्टेज को भेज दिए गए हैं, लेकिन उस स्टेज के अधिकारियों का यूजरनेम और पासवर्ड अब तक तैयार नहीं हुआ है, जिससे काम अटक गया है। हालांकि कुछ ऑफलाइन फाइलों की जांच जरूर की गई है।
पहले चरण स्कूलों के मुख्याध्यापक को अपने स्कूल के सभी कर्मचारियों के दस्तावेजों को संलग्न कर प्रस्ताव तैयार करना है। दूसरे चरण में वेतन पथक को प्रस्ताव मिलने के बाद संबंधित अधिकारी दस्तावेजों की जांच करेंगे।
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तीसरे चरण माध्यमिक शिक्षा अधिकारी द्वारा नियुक्त अधिकारी अंतिम जांच करेंगे और वेतन पथक से प्राप्त प्रस्तावों की पुष्टि करेंगे। इस तरह डिजिटाइजेशन के लिए प्राप्त प्रस्तावों व दस्तावेजों की जांच से फर्जी आईडी की जानकारी भी शिक्षा विभाग को मिल सकेगी।
डिजिटाइजेशन या दस्तावेजों की जांच का काम कुछ अधिकारी कर रहे हैं, लेकिन माध्यमिक शिक्षा अधिकारी जयश्री राऊत ने इन अधिकारियों को कोई लिखित आदेश नहीं दिया है, यह बात विश्वसनीय सूत्रों से पता चली है। विशेष यह कि जयश्री राऊत को अमरावती का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, उन्हें सप्ताह में कुछ दिन वहां भी कार्य करना पड़ता है।