रुपाली चाकणकर व करुणा शर्मा (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: पुणे के बहुचर्चित वैष्णवी हगवणे खुदकुशी मामला अब महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर मुसीबत बन गया है। महिला आयोग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए लोग चाकणकर पर चौतरफा हमला बोल रहे हैं। आरोप लगाए जा रहे हैं कि यदि चाकणकर ने पहले ही सख्त कदम उठाए होते तो शायद वैष्णवी को खुदकुशी जैसा अप्रत्याशित कदम नहीं उठाना पड़ता। हैरानी की बात यह है कि विरोधी दल के साथ-साथ महायुति और खुद उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पार्टी के लोग भी चाकणकर की आलोचना कर रहे हैं।
दहेज के लिए ससुरालियों की प्रताड़ना से तंग होकर वैष्णवी ने 16 मई 2025 को मौत को गले लगा लिया था। इस मामले में पुलिस ने वैष्णवी के ससुर राजेंद्र हगवणे, पति शशांक, सास लता और ननद करिश्मा और जेठ सुशील को गिरफ्तार किया है।
इस मामले में नित नए और सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। वैष्णवी से पहले हगवणे परिवार अपनी बड़ी बहू मयूरी को भी दहेज के लिए प्रताड़ित करता था। बताया जा रहा है कि मयूरी ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत महाराष्ट्र महिला आयोग में की थी। लेकिन आयोग ने शिकायत को महत्व नहीं दिया।
इसकी वजह यह बताई जा रही है कि आयोग की अध्यक्ष रुपाली चाकणकर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं तो वहीं राजेंद्र हगवणे भी अजित गुट के पुणे के पदाधिकारी थे। अजित पवार भी शशांक हगवणे और वैष्णवी की शादी के दौरान बतौर अतिथि समारोह में उपस्थित थे।
महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरहे ने वैष्णवी हगवणे के माता-पिता से मुलाकात के बाद महिला आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यदि राज्य महिला आयोग ने पुलिस को मयूरी जगताप के मामले को घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम के तहत आगे बढ़ाने की सलाह दी होती, तो मयूरी को अब तक अपनी संपत्ति में हिस्सा मिल गया होता।
एनसीपी नेता रुपाली ठोंबरे ने कहा कि पुणे में वैष्णवी आत्महत्या मामले में राज्य महिला आयोग द्वारा की गई कथित लापरवाही की जांच की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्रियों को महिला आयोग की अध्यक्ष रुपाली चाकणकर और आयोग की भूमिका की जांच करनी चाहिए। महिला आयोग का अध्यक्ष गैर-राजनीतिक होना चाहिए या नहीं, इस बारे में भी सरकार को गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।
शरद पवार गुट की नेता राेहिणी खडसे ने कहा कि मयूरी ने उस समय महिला आयोग से संपर्क किया था, लेकिन इस आयोग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सवाल यह है कि क्या तब आरोपी को सत्तारूढ़ राकां पार्टी का पदाधिकारी होने की वजह से छोड़ दिया गया था? क्योंकि महाराष्ट्र महिला आयोग की मौजूदा अध्यक्ष चाकणकर भी सत्तारूढ़ राकां में महत्वपूर्ण पद पर हैं। यदि महिला आयोग ने मयूरी के मामले में सख्त कदम उठाए होते तो शायद वैष्णवी आज जीवित होती।
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धनंजय मुंडे की पूर्व पत्नी करुणा शर्मा ने कहा कि रुपाली चाकणकर को महिला आयोग की अध्यक्ष का पद उनकी खूबसूरती की वजह से मिला है। लेकिन महिला आयोग अध्यक्ष का पद घूम-घूम कर राकां का प्रचार करने के लिए नहीं है। बल्कि उनका काम महिला आयोग में आने वाली शिकायतों को न्याय दिलाना है।
महाराष्ट्र में वैष्णवी, पूजा चव्हाण, करुणा घर-घर में मिल जाएंगी। लेकिन शिकायत करने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिलता। महिला आयोग को 901 महिलाओं की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। उनमें से कितनों को न्याय मिला है? रूपाली चाकणकर को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।