सोयाबीन फसलों पर मवेशी छोड़े (सौजन्य-नवभारत)
Wardha News: सोयाबीन फसल पर चारकोल रॉट व पिले मोझाइक का प्रभाव होने से खड़ी फसल तबाह होने लगी है। अचानक फसल पर प्रादुर्भाव बढ़ जाने के कारण सेलु तहसील में धानोली के किसानों ने खड़ी फसल में बैल छोड़ दिए। जिले में यह प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। परिणामवश सोयाबीन के उपज पर संकट निर्माण हुआ है। प्रतिवर्ष किसानों पर प्राकृतिक आपदा का संकट बरकरार है।
सन 2019 में सोयाबीन फसल की फल्लीयां पकड़ने लगी थी तभी अचानक खोड इल्ली का प्रकोप आने के कारण जिले में हजारों हेक्टेयर की सोयाबीन फसल बर्बाद हुई थी। जिसके बाद बीते चार वर्ष से सोयाबीन फसल पर विविध संक्रमण का फैलाव हो रहा है। बीते वर्ष भी कुछ प्रजाति के सोयाबीन पर वायरस आने के कारण उपज पर परिणाम हुआ था।
खरीफ सीजन शुरू होने के पूर्व अनेक कंपनियों ने सोयाबीन फसल पर वायरस नहीं आने के वादे किए थे। इसी दौरान की किसान इस वर्ष भेट चढ़ गये हैं। कंपनियों के दावे के अनुसार वायरस नहीं आने वाला बीज किसानों ने खरीदा। कंपनी की सूचना के अनुसार समय समय पर रासायनिक दवाई की छिड़कांव किया। बारिश अच्छी होने के कारण इस वर्ष फसल भी अच्छी आयी।
सोयाबीन की फलियां पकने लगी थी की, अचानक चारकोल रॉट व मोझाइक वायरस ने फसल पर अटैक शुरू किया है। प्रकोप के कारण अचानक सोयाबीन की फसल सूखने लगी है। यह प्रकोप मुलियों पर होने के कारण पौधे पर विपरित परिणाम होने के कारण फल्लियां परिपक्व नहीं हो रही है। परिणामवश उपज होने कर कोई स्थिति नहीं होने के कारण किसानों के माथे की लकीरें बढ़ गई हैं।
अचानक सोयाबीन फसल पर प्रकोप होने के कारण तीन माह पूर्व लगाई गई। फसल बचाने के लिए किसान जद्दोजद में लगे हैं। कृषि विभाग व कृषि केंद्र के संचालकों से संपर्क कर उनके सुझाव के अनुसार रासायनक दवाई की छिड़कांव व उपाययोजना करने में किसान जुट गये। परंतु उसके पूर्व ही फसल पर प्रकोप भारी मात्रा में बढ़ जाने से उपज होने की कोई संभावना किसानों को नजर नहीं आ रही है।
सेलु तहसील के धानोली (मेघे) निवासी किसान आशिष मेघे, अनुप शंकरदरवार, अरूण बाचले, किशोर पोकले, प्रणय मेघे, मनीष मेघे के सोयाबीन फसल प्रकोप बढ़ जाने के कारण उन्होंने फसल बचाने की जीतोड़ कोशिश की परंतु प्रकोप कम नहीं होने के कारण किसानों ने अपने जानवर फसल में छोड़ दिए हैं। जल्द सोयाबीन की पूरी फसल उखाड़ कर फेंकने की तैयारी में किसान है।
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किसान आशिष मेघे ने बताया की, उन्होंने सोयाबीन की फसल लगाई थी। किंतु 7.5 एकड़ की फसल पर चारकोल रॉट व पिले मोझाइक का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। प्रकोप से फसल बचाने की पूरी कोशिश की परंतु प्रकोप कम नहीं होने के कारण फसल में बैल को चराई के लिए छोड़ दिया है।
निरंतर बारिश के कारण जमीन गीली होने के कारण ट्रैक्टर से फसल उखाड़ने में बाधा आ रही है। जल्द ही ट्रैक्टर से पुरी फसल उखाड़ कर फेंकी जाएगी। उन्होंने महाराष्ट्र राज्य बीज निगम का सीड्स प्लॉट लिया था। उसमे ही बीमारी के वायरस का प्रादुर्भाव अधिक है, ऐसा भी किसान आशिष मेघे ने बताया।