मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में घमासान मचा हुआ है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) से बगावत कर अजित पवार (Ajit Pawar) के शिंदे-फडणवीस सरकार (Shinde-Fadnavis Government) में शामिल होने से राज्य विधानसभा से लेकर विधान परिषद तक सत्ता पक्ष और विपक्ष का गणित गड़बड़ाता दिख रहा हैं। विधानसभा के साथ विधान परिषद में भी विधायकों के इधर-उधर होने से अब शरद पवार गुट के एनसीपी (NCP) के साथ उद्धव ठाकरे गुट की संख्या कम होने से उनका विपक्ष का नेता पद भी खतरे में है।
कहा जा रहा है कि अब विधान परिषद में भी कांग्रेस के सदस्यों की संख्या ज्यादा होने से सतेज पाटिल विधान परिषद में विपक्ष के नेता हो सकते हैं।
विधान परिषद में उद्धव ठाकरे गुट की ताकत कम हो रही है। उपसभापति शिवसेना उद्धव गुट की नेता रहीं नीलम गोर्हे सीएम एकनाथ शिंदे के गुट में शामिल हो गई हैं ।इसके पहले विधान परिषद की सदस्य रहीं मनीषा कायंदे भी शिंदे के खेमे में जा चुकी हैं। फिलहाल विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद संभाल रहे उद्धव गुट के अंबादास दानवे पर तलवार लटक रही है।
मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए कांग्रेस विपक्ष के नेता पद पर दावा कर सकती है। पश्चिम महाराष्ट्र में बीजेपी के खिलाफ पार्टी की ताकत को बढ़ाने कोल्हापुर से कांग्रेस के बंटी उर्फ़ सतेज पाटिल को विपक्ष का नेता बनाया जा सकता है। वैसे देखा जाए तो एनसीपी में फूट के बाद इस समय विधानसभा में भी विपक्षी दल कांग्रेस के सबसे ज्यादा सदस्य हो गए हैं।
वैसे राज्य विधानसभा और विधान परिषद में बीजेपी सबसे बड़ा दल है। राज्य विधान परिषद की कुल 78 सीटों में 21 सीटें रिक्त हैं। इस समय 57 सदस्यों में 21 बीजेपी के पास हैं। एनसीपी में फूट के बाद 9 में से 5 सदस्य अजित पवार के साथ हो गए हैं। इसी प्रकार नीलम गोर्हे, विप्लव बाजोरिया, मनीषा कायंदे और रविंद्र फाटक के शिंदे गुट में जाने से उद्धव गुट के पास सात सदस्य बचे हैं, जबकि कांग्रेस के पास नौ सदस्य हैं। उधर, बीजेपी सत्ता के बदलते गणित के बीच विधान परिषद के सभापति के रूप में एनसीपी अजित पवार गुट के रामराजे निम्बालकर सभापति होते हैं या बीजेपी के राम शिंदे इस पर भी चर्चा चल रही है।