
इंजीनियर जुबैर
Who is Zubair Hangargekar: महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने पुणे के एक इंजीनियर को गिरफ्तार किया है। इंजीनियर जुबैर हंगरगेकर पर प्रतिबंधित अल-कायदा संगठन से जुड़ाव का आरोप है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुबैर हंगरगेकर (37) वर्ष 2019 में ऑनलाइन माध्यम से संगठन के सदस्यों के संपर्क में आया था। एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हंगरगेकर के संगठन के साथ ऑनलाइन संपर्क की पुष्टि की।
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह संपर्क ईमेल, सोशल मीडिया या किसी अन्य डिजिटल माध्यम से हुआ था। अधिकारी ने बताया कि हंगरगेकर के लैपटॉप से जब्त किया गया साहित्य एके-47 राइफलों के इस्तेमाल और बम बनाने की तकनीकों से संबंधित था। इसे अल-कायदा की एक पत्रिका में अपलोड किया गया था।
पुलिस ने बताया कि जुबैर ने पिछले कुछ वर्षों में कोंढवा के विभिन्न इलाकों का दौरा किया और युवाओं से बातचीत की। वह पुणे में सक्रिय कई आतंकी मॉड्यूल के सदस्यों के संपर्क में भी था। उसने कुछ आतंकवादी संदिग्धों, विशेष रूप से अल सुपा (अल-शबाब) और ठाणे के पडघा तथा मध्य प्रदेश के रतलाम से संचालित अन्य मॉड्यूलों से मुलाकात की थी। पुलिस ने जुबैर की पत्नी को एटीएस कार्यालय बुलाया। उसने बताया कि उसे अपने पति की आतंकी गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
पुलिस ने बताया कि जुबैर कल्याणीनगर स्थित एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था और उसका वार्षिक पैकेज लगभग 25 लाख रुपये था। एक एटीएस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि हमने जुबैर को इसलिए गिरफ्तार किया क्योंकि 9 अक्टूबर की सुबह की तलाशी के दौरान ज़ब्त किए गए 19 लैपटॉप में से उसके लैपटॉप में डाउनलोड किया गया अल-कायदा साहित्य मिला था। ऐसी सामग्री डाउनलोड करना कानूनन अपराध है।
19 लैपटॉप के अलावा, एटीएस ने 9 अक्टूबर को शहर के कई स्थानों पर की गई छापेमारी के दौरान 40 मोबाइल फोन भी बरामद किए थे। अधिकारी ने बताया कि इन सभी उपकरणों को डिजिटल फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है। एटीएस की एक टीम ने सोमवार शाम हंगरगेकर को शहर की एक अदालत में पेश किया, जहां अदालत ने उसे 4 नवंबर तक हिरासत में रखने का आदेश दिया।
अधिकारी ने बताया कि जुबैर इंजीनियरिंग स्नातक है और सॉफ्टवेयर टेस्टिंग तथा डेटाबेस डेवलपमेंट का कार्य करता था। सोलापुर निवासी हंगरगेकर कल्याणीनगर की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत था। वह विवाहित है और उसके दो बच्चे हैं। उसके भाई और अन्य परिजन पास की एक सोसाइटी में रहते हैं।
एक वरिष्ठ एटीएस अधिकारी ने कहा कि हम यह जांच कर रहे हैं कि क्या हंगरगेकर वास्तव में अल-कायदा के सदस्यों के संपर्क में आया था और उसका उद्देश्य क्या था। साथ ही, उसके पास अल-कायदा का इतना साहित्य क्यों था। हम उसके हिरासत में लिए गए मित्र से पूछताछ करेंगे और उसके मोबाइल फोन तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच करेंगे। यह भी देखा जा रहा है कि क्या वह किसी अन्य आतंकी संगठन के संपर्क में था।
एटीएस ने इस महीने की शुरुआत में आईएसआईएस मॉड्यूल के एक पुराने मामले की जांच के दौरान छापेमारी की थी, जो संदिग्ध कट्टरपंथी व्यक्तियों पर केंद्रित थी। उस समय 19 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिन्हें बाद में पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। अधिकारियों ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अलावा कुछ दस्तावेज़ भी जब्त किए, जिनसे क्षेत्र में एक व्यापक आतंकवादी नेटवर्क की मौजूदगी के संकेत मिले।
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पुणे एटीएस की यह कार्रवाई इस्लामिक स्टेट से जुड़े एक मामले में दिल्ली के सादिक नगर से मोहम्मद अदनान खान उर्फ अबू मुहरिब (19) और भोपाल से अदनान खान उर्फ अबू मोहम्मद (20) की गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद हुई है। इन गिरफ्तारियों से संकेत मिला था कि आईएस की ऑनलाइन कट्टरपंथी शाखा अत्यंत सक्रिय है। इस्लामिक स्टेट की डिजिटल उपस्थिति काफी मजबूत मानी जाती है। लोगों को कट्टरपंथी बनाने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई जा रही हैं। दिल्ली मामले की जांच से पता चला कि दोनों युवक ऑनलाइन कट्टरपंथी बने थे और सीरिया में एक हैंडलर को रिपोर्ट कर रहे थे। यह तथ्य सामने आया कि उन्हें सीरिया से निर्देश दिए जा रहे थे।






