सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)
Pune News In Hindi: सुप्रीम कोर्ट ने पुणे मनपा को बाल भारती से पौड फाटा तक जाने वाले मार्ग के लिए पर्यावरण अनुमति लेने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश के बाद लंबे समय से रुका हुआ यह प्रोजेक्ट अब शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है।
भारती-पौड मार्ग लगभग दो से ढाई किमी। लंबा है। यह मार्ग शिवाजीनगर और कोथरूड के बीच बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण वैकल्पिक रास्ता है, लेकिन पर्यावरण प्रेमी संगठनों व स्थानीय नागरिकों ने इस प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई थी।
बुधवार को इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति भूषण गवई और विनोद चंद्रा की खंडपीठ के समक्ष हुई। सुनवाई के दौरान नागरिकों और पर्यावरण संगठनों को दलीलें सुनी गई।
पर्यावरण संगठनों ने कहा कि यह सड़क वेताल टेकड़ी के हरित पट्टे से होकर गुजरता है, जिससे वहां की जैव विविधता और पेड़ों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। वहीं सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (CEC) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह क्षेत्र “Deemed Forest” के तहत आता है और इसे नुकसान पहुंचाए बिना निर्माण किया जाना चाहिए।
मनपा ने कोर्ट को बताया कि यह मार्ग फ्लाईओवर तकनीक का उपयोग कर बनाया जाएगा, जिससे पर्यावरणीय नुकसान न्यूनतम होगा। मनपा के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि मार्ग नहीं बनने से शहर में ट्रैफिक जाम बढ़ रहा है और परियोजना की लागत भी बढ़ रही है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद निर्देश दिया कि मनपा पहले पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करे और फिर निर्माण कार्य शुरू करें।
इस प्रोजेक्ट को लेकर कई तरह के पर्यावरणीय और सामाजिक आपत्तियां जताई गई है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने कहा कि टेकड़ी में गतिविधियां बढ़ने से भूजल स्तर, पेड़-पौधे और जैव विविधता प्रभावित होगी।
वहीं, मनपा का कहना है कि मार्ग को नैतिक और तकनीकी रूप से सुरक्षित तरीके से तैयार किया जाएगा और इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। मनपा की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अधिवक्ता अभिजीत कुलकर्णी, राहुल गर्ग, धवल मल्होत्रा और निशा चव्हाण शामिल थे। पर्यावरण संगठनों की ओर से डॉ। सुषमा दाते व आईएलएस लॉ कॉलेज ने याचिका दायर की थी।
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