
गांधीजी ने ‘हिंद स्वराज’ में अंग्रेजों की साजिश का किया था खुलासा (सौजन्य: सोशल मीडिया)
Nagpur Book Festival: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने महात्मा गांधी की उस टिप्पणी का उल्लेख किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अंग्रेजों ने भारत के इतिहास के बारे में झूठी कथा गढ़ी कि उनके शासन से पहले यहां एकता नहीं थी। भागवत शनिवार को नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि “गांधीजी ने हिंद स्वराज में लिखा है कि अंग्रेजों ने हमें यह झूठ सिखाया कि उनके आने से पहले हम एकजुट नहीं थे।”
गांधीजी द्वारा 1908 में गुजराती में लिखी गई और 1909 में उनके द्वारा ही अंग्रेजी में अनूदित हिंद स्वराज में 20 अध्याय हैं और यह संपादक व पाठक के संवाद के रूप में लिखी गई है। गांधीजी ने पुस्तक में कहा था कि अंग्रेजों ने यह प्रचारित किया कि भारत पहले कभी राष्ट्र नहीं था और राष्ट्र बनने में कई सदियां लगेंगी, जबकि वास्तविकता यह है कि उनके आने से पहले भी भारत एक राष्ट्र था। हमारी जीवनशैली समान थी और एक विचार हमें जोड़ता था, इसलिए अंग्रेज एक राज्य स्थापित करने में सफल हुए और बाद में उन्होंने हमें विभाजित कर दिया।
भागवत ने कहा कि भारत की ‘राष्ट्र’ की अवधारणा प्राचीन, नैसर्गिक और पश्चिमी दृष्टिकोण से भिन्न है। उन्होंने कहा कि “हमारा किसी से कोई विवाद नहीं है। साथ रहना और भाईचारा बढ़ाना हमारी परंपरा है।” उन्होंने कहा कि विश्व के कई हिस्से संघर्ष के बीच विकसित हुए हैं, जहां एक विचार को ही अंतिम मान लिया जाता है और दूसरी राय के लिए दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। उसे ‘वाद’ का नाम दे दिया जाता है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत में राष्ट्रीयता शब्द का प्रयोग होता है, राष्ट्रवाद का नहीं। उन्होंने कहा कि “राष्ट्र के प्रति अत्यधिक गर्व के कारण दो विश्व युद्ध हुए। इसलिए कई लोग ‘राष्ट्रवाद’ शब्द से डरते हैं।” भागवत के अनुसार, भारत में शासन-व्यवस्था और प्रशासन भले ही विभिन्न कालों में बदलते रहे हों, लेकिन भारत हमेशा से एक राष्ट्र रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीयता अहंकार से नहीं, बल्कि लोगों के आपसी संबंधों और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व पर आधारित है। विविधताओं के बावजूद “हम भारत माता की संतान हैं”। यही हमारी एकता का मूल है।
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भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि केवल जानकारी होना पर्याप्त नहीं; ज्ञान और व्यावहारिक बुद्धिमत्ता ही सार्थक जीवन देती है। सच्ची संतुष्टि दूसरों की सहायता से मिलती है।युवा लेखकों से संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को रोका नहीं जा सकता। “हमें तकनीक का उपयोग सीखना चाहिए और अपनी गरिमा बनाए रखनी चाहिए। AI मनुष्य को बेहतर बनाने के लिए उपयोग होनी चाहिए।” उन्होंने वैश्वीकरण पर कहा कि वास्तविक वैश्वीकरण का युग अभी आना बाकी है और उसे भारत लेकर आएगा। वही वसुधैव कुटुंबकम की भावना है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)






