रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News: पुर्ण-लोनावला के बीच उपनगरीय रेल गाड़ियों की कनेक्टिविटी बढ़ाने और यात्रियों को बड़ी राहत देने के मकसद से प्रस्तावित तीसरी और चौथी रेल लाइन को राज्य सरकार से मंजूरी मिल गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल अधोसंरचना समिति की बैठक में इस संयुक्त प्रोजेक्ट को ग्रीन सिग्नल मिल गया है।
कई वर्षों से पेंडिंग यह मांग अब पूरी होने जा रही है। इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल लगातार केंद्र और राज्य सरकार से संपर्क में थे। केंद्र सरकार ने पहले ही इस प्रोजेक्ट के प्रति सकारात्मक भूमिका अपनाई थी। अब राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद यह प्रोजेक्ट हकीकत बनने की ओर आगे बढ़ गया है।
इस प्रोजेक्ट पर होने वाला खर्च केंद्र और राज्य सरकार समान रूप से वहन करेगी। मुरलीधर मोहोल ने इसके लिए मुख्यमंत्री फडणवीस और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से कई बार मुलाकात कर प्रयास किया था। मोहोल ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में रेल आधुनिकीकरण और मार्ग विस्तार का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। अश्विनी वैष्णव के नेतृत्व में इन कार्यों को और गति मिली है। पुणे-लोणावला के बीच बड़ी संख्या में यात्री सफर करते हैं। तीसरी और चौथी लाइन बनने के बाद रेल कनेक्टिविटी और मजबूत होगी।
सड़क यातायात पर भी दबाव होगा कम उन्होंने बताया कि इन दो अतिरिक्त लाइनों से रेल गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी। मालगाड़ियों के कारण होने वाली भीड़ कम होगी और एक्सप्रेस गाड़ियों की गति में भी वृद्धि होगी। इसका सीधा लाभ औद्योगिक क्षेत्र, व्यापारी वर्ग, नौकरी पेशा लोगों और विद्यार्थियों को होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सड़क यातायात पर भी दबाव कम होगा। मोहोल ने इस मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और महायुति सरकार के प्रति आभार जताया है। साथ ही विश्वास जताया है कि इस प्रोजेक्ट की आगे की प्रक्रिया तेजी से पूरी होगी।
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पुणे-लोनावला के 63.84 किलोमीटर लंबे तीसरे और चौथे रेल मार्ग को 1997 में मंजूरी मिली थी। इस परियोजना को साकार करने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया गया, लेकिन कार्य शुरू नहीं हो सका। इसके बाद 2014-15 में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई। इसी दौरान 2016 में रेलवे बोर्ड ने तीसरी और चौथी लाइन के लिए 943.60 करोड़ रुपये की लागत वाला विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट पेश किया। वर्ष 2024 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस मार्ग के लिए राज्य सरकार की ओर से बजट मंजूर किए जाने की घोषणा की थी। लेकिन इसके बाद सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट पर कोई ठोस पहल नहीं हुई।