पुणे मौसम खबर (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News: पुणे मनपा और जल संसाधन विभाग के बीच समन्वय की कमी, योजना का अभाव और पिछले वर्ष आई बाढ़ की स्थिति से सबक नहीं लेने की वजह से इस वर्ष भी कई भागों में भारी बारिश के बाद लोगों के घरों में पानी घुस गया। जबकि शहर भर की सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे नजर आने लगे हैं।
पुणे महानगरपालिका ने जल संसाधन विभाग को दो दिन पूर्व पत्र भेजकर पानी छोड़नें के लिए कहा था। लेकिन जल संसाधन विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। बाद में जब भारी बारिश शुरू हुई और बड़ी मात्रा में पानी जमा हो गया उसके बाद पानी छोड़ना शुरू किया गया। इसी की परिणीति है कि कई घरों में पानी घुस गया है और जगह-जगह तालाब जैसी स्थिति पैदा हो गई। दोपहर के बाद पानी की रफ्तार धीमी पड़ने के बाद आम लोगों के साथ प्रशासन ने गरत की सांस ली है।
पिछले तीन दिनों से महाराष्ट्र में मूसलधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पुणे शहर और ग्रामीण भागों में भी लगातार भारी बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने पुणे विभाग के घाट क्षेत्र में रेड अलर्ट जारी किया था। खडकवासला, पानशेत, वरसगांव और टेमघर डैम क्षेत्र में जोरदार बारिश के कारण जलस्तर तेजी से बढ़ा है। इसके चलते चारों डैम से पानी छोड़ने की मात्रा बढ़ा दी गई है। खडकवासला डैम से मंगलवार रात 35,510 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। वहीं बुधवार सुबह 10 बजे यह बढ़ाकर 39,138 क्यूसेक कर दिया गया जो इस सीजन का सबसे ज्यादा मात्रा थी। पानी छोड़ने की वजह से मुठा नदी में उफान आ गया है। नदी किनारे बसे 404 परिवारों के 1.498 नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है।
पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका आयुक्त शेखर सिंह ने बताया कि 19 अगस्त की रात से ही बाढ़ प्रभावित इलाकों से नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। बुधवार की सुबह 8 बजे तक शहर के लगभग 950 नागरिकों को आश्रय केंद्रों और महानगरपालिका के स्कूलों में शिफ्ट किया गया है।
सिंहगढ़ रोड के एकतानगर परिसर की कई सोसायटियों के तलों (ग्राउंड फ्लोर) और पार्किंग में कमरे तक पानी भर गया है। आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुंचकर नागरिकों को बाहर निकाल रही हैं। भिडे पुल पानी के नीचे चला गया है और यहां से ट्रैफिक पूरी तरह से बंद हो गई है। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और आवश्यक सावधानी बरतें. पिछले वर्ष भी इसी क्षेत्र में भारी बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति बनी थी। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दौरा कर सुरक्षा दीवार बनाने का आश्वासन दिया था। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी ठोस उपाय नहीं किए गए। नतीजतन, इस बार फिर नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ये भी पढ़ें :- चोरों ने मचाया मुंबईकरों की नाक में दम, Mumbai Police की भी उड़ी नींद
येरवडा में भारी बारिश के कारण नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है, जिससे नदी किनारे के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। शांतिनगर में कई घरों में पानी भर गया है। प्रशासन ने यहां के 200 से 300 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है। भारी बारिश ने नदी किनारे बसे लोगों की चिंता बढ़ा दी है।