
पुणे महानगरपालिका (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: ‘विद्या का मायका’ कहे जाने वाले पुणे शहर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बनाए गए अवैध स्टडी रूम और उनसे जुड़े व्यवसायों पर अब पुणे महापालिका (पीएमसी) का शिकंजा कसने वाला है।
राज्य भर से लाखों की संख्या में शहर में आकर तैयारी कर रहे छात्रों के लिए अवैध रूप से चल रहे इन स्टडी रूम्स से स्थानीय नागरिकों को हो रही भारी परेशानी की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए, अतिरिक्त आयुक्त पृथ्वीराज बी। पी। ने निर्माण विभाग को इन सभी अवैध ढांचों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
महापालिका आयुक्त का पदभार संभालने के बाद नवल किशोर राम ने शहर की स्वच्छता और अतिक्रमण विरोधी अभियान पर जोर दिया है। हाल ही में बुलाई गई एक बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि प्रतियोगी छात्रों की बढ़ती भीड़ और इससे पनपे अवैध व्यवसायों के कारण स्थानीय पुणेकरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन का दावा है कि इस कार्रवाई से शहर में एक प्रकार का अनुशासन आएगा।
पुणे शहर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए साढ़े सात सौ से अधिक स्टडी रूम बनाए गए हैं। इनमें से कई स्टडी रूम शहर की पुरानी इमारतों, हवेलियों और यहां तक कि इमारतों की पार्किंग में अवैध रूप से शुरू किए गए है।
इन असुरक्षित जगहों पर लाखों छात्र अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में नवी पेठ के ध्रुवतारा स्टडी रूम में आग लगने जैसी गंभीर घटना हो चुकी है, जिसके बावजूद स्टडी रूम संचालकों द्वारा विद्यार्थियों की सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है।
यह कार्रवाई पुणे शहर में एक बड़े अतिक्रमण विरोधी अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शहर को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाना है।
– नवल किशोर राम, महापालिका आयुक्त
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महापालिका ने पहले वैध-अवैध सभी स्टडी रूम का सर्वेक्षण कराया था, जिसमें पाया गया था कि कई स्टडी रूम में अग्निरोधी प्रणालियों का अभाव है। फायर बिग्रेड को ऑडिट पूरा करना था, लेकिन प्रशासन ने गंभीर उदासीनता दिखाई थी। शहर के मुख्य हिस्सों और पेठों (पुराने मोहल्लों) जैसे नारायण पेठ, सदाशिव पेठ आदि में होस्टल, मेस और ‘खाऊ गली’ (फूड स्ट्रीट्स) का अवैध जाल तेजी से फैला है। इससे इन सड़कों पर दिन भर भारी भीड़ बनी रहती है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वे महापालिका को टैक्स चुकाते हैं, लेकिन उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, ऐसे में वे बाहर से आए लोगों की वजह से होने वाली परेशानी को क्यों सहन करें।






