
पुणे न्यूज (सौ. डिजाइन फोटो )
Pune News In Hindi: महाराष्ट्र की तकनीकी राजधानी कहे जाने वाले पुणे स्थित राजीव गांधी आईटी पार्क, हिंजवडी को इस साल मानसून में हुई भीषण जलभराव की घटनाओं से स्थायी मुक्ति दिलाने के लिए महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (एमआईडीसी) ने एक बड़ा कदम उठाया है।
सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ है कि प्राकृतिक जलधाराओं पर अतिक्रमण के कारण यह समस्या पैदा हुई थी, जिसके निवारण के लिए एमआईडीसी ने 125 करोड़ रुपये की व्यापक उपाय योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है।
इस साल 7 और 22 जून को हुई मूसलाधार बारिश ने हिंजवडी आईटी पार्क के फेज-2 की सड़कों पर बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी थी, जिसने पार्क के बुनियादी ढांचे की दयनीय स्थिति को उजागर किया।
शुरुआती जांच में पता चला कि पहाड़ी ढलानों से नीचे आने वाली प्राकृतिक जलप्रवाहों पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर उन्हें या तो बंद कर दिया गया था या फिर उनके मार्ग को मोड़ दिया गया था। इससे पानी की निकासी का रास्ता अवरुद्ध हो गया 5 और वह सड़कों पर जमा होने लगा।
समस्या की गंभीरता को देखते हुए, एमआईडीसी ने तुरंत कार्रवाई की और एक निजी सलाहकार संस्था को आईटी पार्क की प्राकृतिक जलधाराओं का गहन सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त किया।
इस संस्था ने अत्याधुनिक ड्रोन सर्वेक्षण का उपयोग करके जलप्रवाहों की वर्तमान वहन क्षमता और मानसून में बहने वाले पानी की वास्तविक मात्रा का गहराई से अध्ययन किया। इस रिपोर्ट को वैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए प्रतिष्ठित आईआईटी-बॉम्बे भेजा गया, और वहां से मूल्यांकन के बाद अब यह विस्तृत रिपोर्ट एमआईडीसी को सौंप दी गई है।
प्राकृतिक जल प्रवाहों के सर्वेक्षण के आधार पर आईटी पार्क में जलजमाव न हो, इसके लिए उपाय योजनाएं शुरू की गई हैं। पहले चरण में सड़कों पर पानी नहीं आने देने के लिए अंडरग्राउंड नाले बनाए जाएंगे। उसके बाद दूसरे चरण में पहाड़ी ढलानों से आने वाले पानी को नदी तक पहुंचाने के लिए एक स्वतंत्र नाला बनाया जाएगा।
– राजेंद्र तोतला, एमआईडीसी के कार्यकारी अभियंता
एमआईडीसी सूत्रों के अनुसार, आईटी पार्क में जलभराव पर दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करने के लिए एक विस्तृत परियोजना खाका (ब्लूप्रिट) तैयार किया गया है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत, आईटी पार्क में कुल 17.5 किलोमीटर लंबा बरसाती नालों का एक मजबूत जाल (ड्रेनेज नेटवर्क) बिछाया जाएगा। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि बारिश का पानी पहाड़ी से सीधे नदी तक बिना किसी मानवीय रुकावट के पहुंचे।
जलभराव वाले मुख्य स्थानों को प्राथमिकता दी गई है। खासकर आईटी पार्क फेज-2 में विप्रो सर्कल से संज सर्कल तक की सड़क पर भारी मात्रा में पानी जमा होने की समस्या को दूर करने के लिए भूमिगत कॉन्क्रीट नाले (सब-वै ड्रेनेज) बनाए जाएंगे। इन्फोसिस सर्कल, डोहलर कंपनी चौक, और जावडेकर प्रोजेक्ट के किनारों पर भी अंडरग्राउंड कॉन्क्रीट नाले बनाए जाएंगे, जिससे पानी सड़क की सतह पर जमा न होकर सीधे नालों से बहता हुआ आगे निकल जाए।
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योजना के तहत एक अन्य महत्वपूर्ण उपाय यह है कि जहां पहाडी ढलानों से आने वाले पानी के प्रवाह को रोका गया है, उन महत्वपूर्ण स्थानों पर लगभग 900 मीटर लंबा एक स्वतंत्र नाला (कैनल) बनाया जाएगा। यह स्वतंत्र नाला रायसोनी पार्क के पीछे की तरफ से फेज-1 में क्वाइंट कंपनी और फेज-3 में डीएलएफ कंपनी के सामने बनाया जाएगा।






