पीएमआरडीए (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) ने पर्यावरण सुरक्षा और जल स्रोतों की शुद्धता को ध्यान में रखते हुए पश्चिमी भाग के 120 गांवों और पूर्वी भाग के 130 गांवों सहित कुल 230 गांवों में गंदे पानी की पाइपलाइन और ड्रेनेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करने की योजना तैयार की जा रही है।
इस संपूर्ण प्रोजेक्ट पर करीब 1800 करोड़ रुपये का खर्च अपेक्षित है। पहले चरण में पश्चिम भाग के गांवों के लिए 300 करोड़ रुपये का प्लान तैयार किया गया है। इसकी टेंडर प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है।
इस योजना के लागू होने के बाद डैम (जलाशय) के कैचमेंट एरिया में गंदे पानी मिलने के मामले पर रोक लगेगी, जिससे पुणे शहर को मिलने वाले पेयजल की गुणवत्ता में सुधार होगा। इस प्रोजेक्ट का कार्य दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में पश्चिम क्षेत्र के 120 गांवों में पाइपलाइन और एसटीपी का जाल बिछाया जाएगा जबकि अगले चरण में पूर्व क्षेत्र के 130 गांवों में यह सुविधा विकसित की जाएगी। डॉ। महसे ने विश्वास जताया है कि इस पहल से पुणे क्षेत्र में जल स्रोतों का प्रदूषण घटेगा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह एक स्थायी समाधान साबित होगा।
डैम क्षेत्र में जल प्रदूषण रोकने के लिए राज्य सरकार ने पहले जल संसाधन विभाग को विशेष कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे। विभाग ने इस दिशा में प्लान तैयार कर राज्य सरकार को मंजूरी के लिए भेज दिया था। लेकिन यह प्रस्ताव अभी तक सरकार के स्तर पर पेंडिंग है।
इस बीच पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) के बाद अब पीएमआरडीए ने भी अपनी सीमा में नदी सुधार योजना (रिवर इम्पूवमेंट प्रोजेक्ट) लागू करने की दिशा में कदम बढ़ावा है। पीएमआरडीए ने अपने क्षेत्र के नदी के पास के गांवों में ड्रेनेज पाइपलाइन का जाल तैयार करने और शोधन केंद्र स्थापित करने की दिशा में काम शुरू किया है। इसके लिए पहले सलाहकार (कंसल्टिंग) कंपनी की नियुक्ति की गई थी। इस कंपनी ने परियोजना का प्लान और विस्तृत रिपोर्ट प्राधिकरण की सौंपा है। रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट की प्राथमिक लागत लगभग 300 करोड़ रुपये आकी गई है।
पीएमआरडीए के अधिकार क्षेत्र में 800 से अधिक गांव आते हैं। इनमें से अधिकांश गांवों में अभी तक गंदा पानी शोधन केंद्र (एसटीपी) उपलब्ध नहीं हैं। विशेष रूप से डेम के ऊपरी भाग में बसे गांवों से गंदा पानी नदियों में छोड़ा जाता है। यही पानी आगे चलकर पुणे शहर को पानी सप्लाई करने वाले डैम के कैचमेंट एरिया में पहुंचता है। इसके साथ ही डैम के आसपास के इलाकों में पिछले कुछ वर्षों में बड़ी मात्रा में अवैध निर्माण भी हुए हैं। इन निर्माणों से निकलने वाला गंदा पानी भी सीधे नदियों में छोड़ा जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप नदियों और जलाशयों का प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।
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कुल गांव: 230 (पश्चिमी भाग के 120 और पूर्वी भाग के 110)
उद्देश्यः इन गांवों में सीवेज लाइनों का नेटवकी बिछाना और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करना।
अनुमानित लागतः इन कार्यों के लिए लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
पहला चरणः पहले चरण में पश्चिमी क्षेत्र के गांवों के लिए 300 करोड़ रुपये का खाका तैयार किया गया है और इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
समस्या का समाधान: इस पहल से उन गांवों से निकलने वाले सीवेज के पानी की बोधों के कैचमेंट एरिया में मिलने से रोका जा सकेगा, जिससे नदियों और बांधों के बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगेगी।
पृष्ठभूमिः वर्तमान में, प्राधिकरण की सीमा में कई गांवों में सीवेज उपचार की सुविधा नहीं है, जिसके कारण यह दुषित पानी पुणे शहर को पानी की आपूर्ति करने वाले बांधों के कैचमेंट एरिया में मिल जाता है।
प्रगति: पीएमआरडीए ने नदी सुधार योजना के तहत यह काम शुरू किया है और पश्चिमी गांवों के लिए सीवेज नेटवर्क और उपचार केंद्र स्थापित करने का काम दो चरणों में किया जाएगा।