पुणे महानगरपालिका (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pune News In Hindi: पुणे महानगर पालिका (PMC) को आगामी चुनावों के लिए तैयार की गई प्रारूप प्रभाग रचना पर दर्ज आपत्तियों और सुझावों की सुनवाई 11 और 12 सितंबर को होगी। यह सुनवाई सामान्य प्रशासन विभाग की अपर सचिव वी राधा के समक्ष होगी। लेकिन, इस पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल भी उठने लगा है, क्योंकि आरोप है कि प्रभागों की सीमांकन प्रक्रिया राजनीतिक दबाव और सांठगांठ का नतीजा है।
चुनाव आयोग के निर्देश पर तैयार नई रचना में 32 नए गांव शामिल किए गए हैं। महानगर पालिका को करीब 6,000 आपत्तियां और सुझाव मिले, जिसमें से अंतिम दिन ही 3,500 से ज्यादा आपत्तियां दाखिल की गईं। सूत्रों का कहना है कि बड़ी संख्या में आपत्तियों के पीछे ‘फर्जी संगठन’ और ‘बोगस नागरिक’ भी सक्रिय थे, जिनके जरिए विपक्षी आवाज दबाने और प्रशासन पर दबाव बनाने का प्रयास हुआ।
राज्य सरकार ने वी राधा को प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त किया है। वे हर आपत्ति पर सुनवाई कर संशोधित रिपोर्ट तैयार करेंगी। लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या इस सुनवाई में वास्तविक नागरिकों की आवाज सुनी जाएगी या राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए गए ‘फ्रंट’ ही हावी रहेंगे। कई नागरिक संगठनों का आरोप है कि प्रभाग सीमांकन में बड़े पैमाने पर हेराफेरी कर चुनावी गणित साधने की कोशिश की गई है। आगामी चुनावों के लिए इस बार नगरसेवकों की संख्या 165 होगी और कुल 41 प्रभाग बनाए गए हैं। इनमें से एक प्रभाग पांच सदस्यीय है, जबकि 40 प्रभाग चार सदस्यीय होंगे। प्रभाग क्रमांक 38 (आंबेगांव कात्रज) पांच सदस्यीय होगा। पहले मनपा क्षेत्र में 34 गांव शामिल थे, लेकिन अब उरुली देवाची और फुरसुंगी को राज्य सरकार ने बाहर कर दिया है।
पुणे महानगर पालिका के चुनाव विभाग के उपायुक्त प्रसाद काटकर ने कहा है कि प्रभाग रचना पर दर्ज आपत्तियों और 66 सुझावों की सुनवाई प्राधिकृत अधिकारी वी राधा के समक्ष होगी। जिन नागरिकों ने आपत्तियां दर्ज की हैं, उन्हें निर्धारित समय पर उपस्थित रहना होगा।
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भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों को सुरक्षित बनाने के लिए ‘सीमांकन का खेल’ खेला है। सूत्रों का कहना है कि कुछ प्रभागों की सीमाएं इस तरह खींची गई हैं कि विपक्षी दलों का जनाधार बिखर जाए, इसे ‘राजनीतिक अपराध’ और ‘लोकतंत्र के साथ खिलवाड़’ बताया जा रहा है।