अजित पवार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
पुणे: राज्य के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार को एक ओर शिंदे गुट की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं अब उनके अपने ही पार्टी में भी असंतोष की खबरें सामने आ रही हैं। पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे को अजित पवार का गढ़ माना जाता है। इस क्षेत्र में उनके समर्थकों की बड़ी संख्या होने के कारण राजनीति पर उनकी पकड़ मजबूत रही है। लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पुणे के कई बड़े नेता नाराज हैं, जिनमें कई पूर्व विधायक भी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, अजित के पुराने कड़े समर्थक देवेंद्र भुयार, जुन्नर के अतुल बेनके, दिलीप मोहिते पाटिल, यशवंत माने, बालासाहब आजबे और सुनील टिंगरे पार्टी में बेहद नाराजगी व्यक्त की हैं। उनका कहना है कि पार्टी की किसी भी बैठक में उन्हें बुलाया नहीं जाता और न ही उन्हें कोई जिम्मेदारी दी जाती है। साथ ही, नए लोगों को पार्टी में अधिक महत्व दिया जाता है, जबकि मुश्किल समय में पार्टी के साथ खड़े रहे पूर्व विधायकों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों होता है, यह सवाल उन्होंने पार्टी नेतृत्व से पूछा है।
विधानसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी के पराजित उम्मीदवारों को इस समय महा गठबंधन के तीनों पार्टियों से पांव तले रेत का एहसास हो रहा है। एनसीपी में भी अब जोरदार अंदरूनी गतिरोध शुरू हो गया है। इसमें पूर्व विधायक और चुनाव में हारने वाले उम्मीदवार शामिल हैं। एक ओर वे दूसरे दलों के पूर्व विधायकों को शामिल करते हैं, लेकिन अपनी ही पार्टी के हार चुके और पार्टी के लिए काम करने वाले लोगों की तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया जाता, यह नाराज समूह का सवाल है।
चांदी की थाली में नेताओं ने खाया खाना, एस्टीमेट कमेटी बैठक में पैसों की बर्बादी
जब अजित ने शरद पवार का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ जाने का फैसला किया था, तब वे सभी इस निर्णय में शामिल थे। फिर भी, वे निष्ठावान होकर पार्टी के साथ रहने के बावजूद नजरअंदाज किए जा रहे हैं। अजित की मंगलवार को हुई बैठकों में उन्हें क्यों नहीं बुलाया जाता, यह भी इन नेताओं ने सवाल उठाया है।