चांदी की थाली में खाना खाते कमेटी सदस्य (सौजन्य-एक्स)
मुंबई: मुंबई स्थित विधान भवन में आयोजित संसद की प्राक्कलन समिति का दो दिवसीय सम्मेलन एक बार फिर से विवादों में घिर गया है। क्योंकि सम्मेलन में भाग लेने आए देश भर के नेताओं एवं अधिकारियों के रहने और सिर्फ खाने पर महाराष्ट्र सरकार ने करोड़ों रुपए फूंक डाले। सरकारी खर्च कम करने के लिए आयोजित इस बैठक में शामिल लगभग 600 मेहमानों के एक वक्त के खाने की थाली 4000 रुपए की थी।
दावा ये भी किया जा रहा है कि मेहमानों को चांदी की थाली में खाना परोसा गया था और उस थाली को एक बार इस्तेमाल करने का किराया 550 रुपए था। इस तरह से एक थाली के लिए 4550 रुपए से अधिक खर्च किए गए। बजट प्रावधानों के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मितव्ययिता रोकने की सिफारिश करने तथा सुझाव देनेवाली भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं।
समिति के अमृत जयंती वर्ष के अवसर पर मुंबई में एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 23 और 24 जून को किया गया था। इसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित देशभर के बड़े नेता व अधिकारियों ने उपस्थिति दर्ज कराई थी।
परिषद में अध्यक्ष, सदस्य ऐसे लगभग 250 विशेष और 250 अधिकारियों सहित करीब 600 लोग शामिल हुए। इनके स्वागत के लिए विधानमंडल के बाहर 40 फुट ऊंचे बैनर लगाए गए थे। तो वहीं ताज पैलेस और ट्राइडेंट जैसे 5 स्टार होटलों में मेहमानों के ठहरने की व्यवस्था की गई थी।
Extravagant splurge of public money! Mumbai’s Vidhan Bhavan hosted a lavish feast for Budget Committee members from across India, costing ₹4,500 per person. Served on silver plates (₹550 rent each), the meal for 600 guests totaled ₹27 lakh! The same committee preaching… pic.twitter.com/YZfVG0HD3W
— Vijay Kumbhar (@VijayKumbhar62) June 25, 2025
विधानमंडल परिसर में मलमल के कपड़े की वातानुकूलित शामियाने लगाए गए थे। उनमें झूमर लगाए गए थे। इतना ही नहीं, होटल में सांस्कृतिक कार्यक्रम, यात्रा के लिए वाहन और मुंबई दर्शन की भी योजना बनाई गई थी। उन्हें पंच पकवान परोसे गए। भोजन के लिए सिर्फ थाली ही नहीं बल्कि ग्लास और चम्मच भी चांदी के इस्तेमाल किए गए।
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने हमला बोलते हुए कहा राज्य दिवालिया होने की कगार पर है। राज्य में किसानों को कर्जमाफी नहीं दी जा रही है। अनाज बोनस देने का वादा करके सरकार ने पैसे नहीं दिए हैं। विदर्भ के 58 फीसदी किसानों को दोबारा कर्ज नहीं मिला है। बैंक किसानों को कर्ज नहीं दे रहे हैं। आदिवासी और समाज कल्याण विभाग की योजनाओं पर कैंची चलाई जा रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को वेतन नहीं मिल रहा है।
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उन्होंने सरकार को निशाना बनाते हुए वडेट्टीवार ने कहा संजय गांधी निराधार योजना का पैसा नहीं दिया जा रहा है। सरकार गरीबों, किसानों और आम लोगों को उनके हक का पैसा नहीं दे रही है और मुंबई में प्राक्कलन समिति के सदस्यों को चांदी की थाली में खाना परोसा जा रहा है। जो लोग प्राक्कलन समिति की बैठक में आते हैं। उन्हें चांदी थाली में खाना आम लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। एक तरफ गरीबों की योजनाओं के लिए पैसा नहीं है और दूसरी तरफ पैसा बर्बाद करना सरकार का दोगलापन है।